________________ 68 जादु. दूसरे सब आंधी अप देवताओं को देवता मान कर पूजा जाता है तब बैबिलोनिया में उनको राक्षस रूप में क्यों माना जाने लगा होगा ऐसा प्रश्न स्वाभाविक ही उत्पन्न होता है। यदि ऐसा दूसरी किसी जगह न हुआ हो तो इसका निर्णय करने का काम हम को अति कठिन हो जाए / परन्तु जब हम प्राचीन ईरान के धर्मों को शोधेगे और जरथुस्त्र के किए हुए धार्मिक परिवर्तन पर विचार करेंगे तो हमें प्रतीत होगा कि पुराने धर्म के देवताओं को राक्षस रूप मान कर गिरा दिया गया है / यह बात धर्मों के इतिहास में अपरिचित नहीं होती। पारसिओं तथा हिंदुस्थान के आर्यों के पूर्वज जिन देवों को प्रथम देवताओं के रूप में मानते थे वह देवता जरथुस्त्र के धर्मोपदेश में राक्षस माने गए इस लिए तुलनात्मक पद्धति के अनुसार ऐसा अनुमान कर सकते हैं कि देवताओं की जो दशा ईरान में हुई है वैसी ही दशा आंधी के देवताओं की बैबिलोनिया में भी हुई होगी। बैबिलोनिया के सामाजिक धर्म में देवताओं के रूप में पूजे जाने वाले विश्व देवताओं के समूह में आंधी के अप देवताओं को स्थान नहीं मिला था परन्तु उनको रोग और मृत्यु लाने वाले राक्षस मान कर उन में से निकाल दिए गए थे / उनके लाए हुए रोग और मृत्यु से बचने के लिए जादुगरों के सामने जो प्रयोग किए जाते थे उन्हीं प्रयोगों का उपयोग किया जाता / जादुगरों अथवा राक्षसों के लाए हुए रोग और मृत्यु के मुकाबले में प्रतिकार जादु के प्रयोगों का ही