________________ तुलनात्मक धर्मविचार. 61 राक्षसों के नाम वहुत दफा आते हैं। सब बीमारी और आफतों की साक्षात् मूर्ति स्वरूप उनको गिना गया है। मनुष्य पर पड़ने वाली सब प्रकार की आफतों के वह मूल कारण हैं और वे ही संहारक शक्तिएं हैं / वही उत्पात की भी शक्तिएं हैं और मनुष्य तथा पशुओं पर आ पड़ती हैं। वे नाक की प्रजा हैं। वे न ही पुरुष और नहीं स्त्री हैं। यहां पर वह ऊजड़ प्रदेशों में वास करते हैं। वे अपने साथ ग्रहण बाढ़ रोग तथा मृत्यु लाते हैं। वह आंधी में उत्पन्न होने वाले चार प्रकार की पवनों के पंखों पर सवार होते हैं। इन सात भूतों के स्वरूप को यथार्थ में समझने के लिए यदि हम तुलनात्मक पद्धति का उपयोग करेंगे तो मालूम होगा कि वह दुनिया के सब धर्मों में पाए जाने वाले आंधी के सात देवता हैं। टयूटन लोगों के पुराणों में और जापान के शिन्तो धम् में वे देखने में आते हैं / साधारण रीति पर अनेक देववाद के देवताओं में उनको स्थान मिला होता है। चीन में वे थीनशेन के रूप में पूजे जाते हैं / जापान के शिन्तो धर्म में ऐसा माना जाता है कि वहां के सम्राट को स्वप्न आने से समाज के देव रूप में उनको मान लिया जाता है। वेद में, आंधी के देवता मरुतों को इन्द्र की सहायता करने वाले तोफानी देवताओं की फौज के रूप में वर्णन किया है। ग्रीक लोगों में बोरिआस और टयूटनों का वालकीरीज़ भी देव के रूप में पूजे जाने वाले आंधी देवता हैं। जब इस प्रकार