________________ तुलनात्मक धर्मविचार. भ्रष्ट करने से ऐसा अपकृत्य होता है ऐसा भी वह मान लेते हैं। इस प्रकार समाज जिसे स्वयं निषिद्ध मानता है उसका निषेध समाज में आपत्ति लाने वाली किसी अनिश्चित मूर्तिमती शक्तिने किया है ऐसा परिणाम निकाला जाता है। चीन में ऐसा माना जाता है कि " प्रजा की ओर से जो अनादर होता है इस के परिणाम में आकाश देवता के क्रोध होने से प्लेग, महामारी और अकाल पड़ता है।" __ अबतक हमने प्रजा पर पड़ने वाली आपत्तियों और जहां तक हो सके समस्त प्रजा की ओरसे रोकने के उपायों संबंधी विचार किया है। बीमारी मृत्यु वगैरे आपत्तिएं ऐसी हैं कि जो मात्र एक व्यक्तिपर आ पड़ती हैं ओर उस को दूर करने का प्रयत्न उस के मित्र तथा निकट संबंधी ही करते हैं। ऐसी आपत्तियों के भी उत्पादक होते हैं और जो इन को निर्मूल करना हो तो इन उप्तादकों को ढूंड निकालना चाहिए। ऐसी शोध प्रजा के अग्रगन्ता की ओरसे नहीं परन्तु दुःख भोगने वाली व्यक्तियों की ओरसे करने में आती है। इसको निजूबात समझें परन्तु समस्त प्रजा का इस के साथ कोई संबंध नहीं। __ इस पर जादु तथा कई धार्मिक विधिओं का एक प्रकार से भेद स्पष्ट रीति से समझ में आता है। जादु का व्यक्ति गत संबंध है और धर्म का समाज तथा प्रजा के साथ संबंध है। जब शिक्षण बहुत थोड़ा होता है तब साधारण रीति