________________ 40 यश. यज्ञ वर्षकी अमुक ही ऋतु प्रत्येक वर्ष किए जाते थे। ऐसे यज्ञोंको हम नियमित यज्ञ कहेंगे / ऐतिहासिक धर्मों में नियमित यज्ञोंसे अनियमित यज्ञोंका प्रचार थोड़ा देखनेमें आता है / नियमित यज्ञ प्रति वर्ष वसन्त ऋतुमें तथा प्रत्येक शरद ऋतुमें किए जाते थे। ऐतिहासिक धर्मों में यह यज्ञ बीज बोते वक्त मनाए जाने वाले वसंत उत्सव के साथ तथा फसल काटने के समय मनाए जाने वाले शरद ऋतुके उत्सवके साथ मिला दिए गए। धामिक पंचांगकी उत्पत्ति भी इन यज्ञों में से ही हुई और कुछ समयके बाद जबसे सूर्य, चन्द्र ग्रह तथा नक्षत्रोंका पूजना आरंभ हुवा उस समय से शास्त्रीय पंचांग भी बनाए गए। अब तक हमने ऐसी धार्मिक क्रियाओं पर ध्यान दिया है कि जिनमें देवताओं को अन्नका नैवेद्य और पशुओंका बलिदान देने आया था, परन्तु अब हम आगे चलकर उन धार्मिक क्रियाओंका अवलोकन करेंगे जिनमें मनुष्यकी बलि दी जाती है। ऐतिहासिक धर्मों में यह धार्मिक क्रिया विशेष अंशमें नहीं दिखाई पड़ती परन्तु लिखित इतिहास नहीं रखनेवाले धर्मों में उसका प्रचार विशेष देखने में आता है। समाज के किसी भी मनुष्यके अपकृत्य से क्रोधित अलौकिक व्यक्ति अथवा शक्ति समाजपर आफत डालती है। इस सिद्धान्तको