________________ प्रस्तावना. हैं कि नहीं यह प्रश्न एक तरफ रखा जाए तो भी इतना तो सिद्ध ही है कि उनका स्वरूप मात्र त्रासजनक होता है। ऐसे प्रसंग पर उनको चले जाने के लिए लालच का यत्न करना यह स्वाभाविक और व्यवहारिक उपाय प्राचीन काल से किया जा रहा है और बहुत कुछ प्रेत क्रियाओं का यही उद्देश्य देखने में आता है। इस प्रकार व्यक्तिओं और समाजों पर आनेवाली विप. त्तियों के तीन कारण हो सकते हैं; (1) क्षोभयुक्त प्रेत ( 2 ) मनुष्यों की वैर बुद्धि वाली जादुभरी शक्ति और ( 3 ) कोपायमान अलौकिक व्यक्तिओं की सत्ता / जादुगरों वा चुडैलौं के प्रयोगों द्वारा व्यक्तिओं पर जो आफतें पैदा की जाती थीं, वह किसी मनुष्य की वैर बुद्धि का परिणाम है ऐसा माना जाता था और दूसरे दो कारणों से समाज पर आई हुई आफतों के संबंध में हमसे समाज के प्रचलित रिवाज में कुछ परिवर्तन हुआ है और इस लिए यह आफत आई है ऐसा माना जाता था, समाज में प्रचलित नीति के नियमों का उलंघन करने से अथवा देवादि निमित्त पवित्र रखी हुई वस्तुओं को भ्रष्ट करने से समाज के रीति का भंग होताथा और प्रचलित रिवाज को बदलने की बन्दिश की गई हो ऐसा मालूम होता है। ऐसे ख्याल के लिए हो नीति के सर्व प्राचीन नियम निषेधात्मक स्वरूप में रचे गए होंगे जैसे कि ' तुम्हें अमुक नहीं करना ' और सब प्राचीन धमों में, दुःख जो