________________ तुलनात्मक धर्मविचार. 23 बुद्धने ईश्वरका जो विचार दिया है उसके प्रमाणमें उसके अनुयाईयोंने ईश्वर के विषयमें कई विशेष ख्याल रचे हुए हैं। बुद्धधर्म के स्तंभ रूप बुद्धके उपदशोंकी गर्भित प्रतिज्ञा जो स्पष्ट शब्दों दर्शाई नहीं गई है, वह यह थी कि -- ईश्वर संबंधी विचार करनेकी आवश्यकता नहीं' ऐसा होनेपर भी बुद्धधर्मका इतिहास दिखाता है कि ईश्वरको माने विना चल नहीं सकता। ___ मूर्तिमान् ईश्वर को नहीं मानने के परिणाम में निष्फल हुए हों ऐसे प्रयत्न प्राचीन ईरानमें जरथुस्त्र के उपदेशों में किया गया देखने में आता है। यह समझने के लिए हम पूर्व निर्दिष्ट मतों का एकवार पुनः दिग्दर्शन कर आगे लिखेंगे / मनुष्य व्यक्तिपर और जन समुदायपर जो आफतें आ पड़ती हैं यह अस्पष्ट रीतिसे कल्पना की गई व्यक्तियों अथवा शक्तियों के कृत्य हैं / जादुगरों के प्रयोग तथा भूत प्रेत आदि अथवा कोई भी मूर्तिमती व्यक्ति अथवा शक्ति के संचार द्वारा आफतें आती हैं और जो सत्ता आफतें भेजती है उसको यथाविधि संतुष्ट करनेसे आनेवाली आफतें रुकती हैं और आई हुई दूर होती हैं / इसमें यह ख्याल किया जाता है कि आफतों का पैदा करने वाला नरमदिल है और उसके कोप के कारण को दूर करनेसे वह आफतों को पीछे हटालेता है / वह स्वाभाविक ही द्वेषबुद्धि वाला है यह माना नहीं जाता / उसकी सहायता लेनेवाला जादुगर अथवा कोई दूसरा मनुष्य द्वेषी