________________ 14 प्रस्तावना. नाम और उनकी कथाएं भी की जाती हैं। जिन प्रजाओं के लिखित इतिहास नहीं मिलते उन में भी थोड़ी बहुत उन्नति को प्राप्त हुए मतों में जो व्यक्ति अथवा शक्ति आफत भेजती है और खुद प्रजा में उनका संचार करती है उनका नाम अथवा उनकी कथाएं नहीं होतीं यह स्पष्ट ही है। उन्नत दशा को पहुंचे हुए मतों में भी एक समय ऐसा होना चाहिए जब कि उनके देवताओंका नाम तथा कथाएं नहीं बनाई गई हो / इस पर से हम जान सकते हैं कि प्रजा पर इस प्रकार से पड़ी हुई आफत, किसी मूर्तिमान् व्यक्ति अथवा शक्ति के रूप में मानी जाती है, आरंभ में इस व्यक्ति अथवा शक्ति की ठीक कल्पना करने में नहीं आती परन्तु पीछे से उसे निश्चय रीतिपर मूर्तिमती शक्ति के रूप में मानी जाती है। उनके संचार से मुक्त होनेकी इच्छा प्रजा करती है और प्रजा की ओर से उस का मुखिया उस दुःखदायिनी शक्ति को चले जाने के लिए विनंति करता है और ऐसी बात हो जाने के लिये बलिदान देते हैं। परन्तु कारण विना कोई कार्य होता नहीं इस लिए. कल्पित मूर्तिमती व्यक्ति के संचार के कारण ढूंडने लगते हैं और उन व्यक्तिओं के समाज पर आफत के डालने से हम में से किसीने अपकृत्य किया होगा जिस से उसको क्रोध हुआ, ऐसा मानकर वह बैठे रहते हैं। समाज की सामान्य रूढ़ि के भंगहोने के डरसे जिन बातों को समाज निषिद्ध मानता है उनको स्वीकार करने से तथा देवताओं के लिए पवित्र रखी वस्तुओं के