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तब होता है ध्यान का जन्म
जाएगा-किसका शब्द हुआ? यह उत्सुकता क्यो पैदा होता है? इसका कारण है इन्द्रियों का असंयम।
जिसे ध्यान का विकास करना है, उस व्यक्ति को इन पांच संकल्पों को स्वीकार करना होगा। इन्हें स्वीकार किए बिना ध्यान में बैठ जाने पर भी ध्यान नहीं सधेगा। कुछ लाभ मिल सकता है किन्तु जो परिणाम आना चाहिए, जो घटित होना चाहिए, वह घटित नहीं होता। जिस व्यक्ति के मन में यह अभिलाषा जागती है कि मुझे ध्यान का प्रयोग करना है, अपनी आत्मा का अनुभव करना है, भीतर की गहराइयों में उतरना है, वह व्यक्ति ध्यान में बैठने से पूर्व इन पांच संकल्पों पर ध्यान दे। अगर वह ऐसा करता है तो निश्चित ही उस व्यक्ति में ध्यान का अवतरण हो सकता है। अगर ऐसा नहीं करता है तो वास्तव में ध्यान अवतरित नहीं होता। इस सचाई को समझकर हम ऐसे वातावरण का निर्माण करें, जिससे हमारे जीवन में ध्यान का अवतरण हो सके, ध्यान का जन्म हो सके।
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