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तब होता है ध्यान का जन्म ही बड़ा बन जाए। जो व्यक्ति पदार्थ जगत् से हटकर आत्मा के जगत् में थोड़ा-सा भी प्रवेश पा गया, उसने अपने लिए सुख और शांति का मार्ग खोज लिया। ये दो रास्ते हैं, आप जिसे चाहें, उसे स्वीकार करें। शांतिकामी कभी इस सचाई की उपेक्षा नहीं कर सकता-पदार्थाभिमुखता से आत्माभिमुखता की ओर प्रस्थान करना ही पारिवारिक शांति का महामंत्र है।
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