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तब होता है ध्यान का जन्म निश्चित पैदा होगी। यदि विक्रिया से बचना है, प्रतिक्रिया से बचना है और केवल क्रिया करना है तो उसे संस्कृत करना होगा। वह क्रिया जो संस्क्रिया है, प्रतिक्रिया और विक्रिया पैदा नहीं करेगी। संस्क्रिया का तात्पर्य है संस्कारित क्रिया । चित्तशुद्धि की ओर ध्यान दिये बिना इस स्थिति का निर्माण संभव नहीं है।
बड़ा आश्चर्य होता है, लोग हर काम की आलोचना करते हैं, केवल अपने काम को छोड़कर। अपने काम की कोई आलोचना नहीं करता। वह दूसरे के हर काम की आलोचना कर देता है। चाहे कोई विद्वान है, राजनेता अथवा न्यायाधीश है, किसी को भी बख्शा नहीं जाता। सबकी आलोचना होती है। धर्मगुरु की भी आलोचना हो जाती है। लोग कह देते हैं-यह ठीक नहीं किया, अगर ऐसा करते तो ज्यादा अच्छा हो जाता। यह आलोचना क्यों होती है? इसलिए कि क्रिया के साथ चित्त की शुद्धि नहीं रही। आलोचना कोई परिणाम भी नहीं लाती इसलिए कि उसके साथ भी चित्त की शुद्धि नहीं है। क्रिया करने वाले की चित्तशुद्धि होती तो शायद आलोचना का इतना मौका नहीं मिलता। उसकी चित्तशुद्धि होने पर भी आलोचना हो सकती है। यदि आलोचना करने वाले की भी चित्तशुद्धि नहीं है तो वह क्रिया और संस्क्रिया का भेद नहीं कर पाएगा। दोनों ओर चित्त की शुद्धि नहीं है, न क्रिया के साथ चित्तशुद्धि का योग है और न आलोचना के साथ चित्तशुद्धि का योग है इसलिए क्रिया फलवती नहीं बनती और आलोचना भी सार्थक नहीं बनती। प्रतिक्रिया और विक्रिया से जुड़ा विरोध
__ आरक्षण का भारी विरोध हुआ। विरोध हो सकता है पर यदि चित्तशुद्धि के साथ विरोध होता तो तोड़-फोड़ नहीं होती, बसें नहीं जलाई जाती, जनता को परेशान नहीं किया जाता, चक्के जाम नहीं किये जाते, जनता से भरी बसों और मोटरों को सड़कों पर रोका नहीं जाता, जन-धन को नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। केवल विरोध है, साथ में चित्तशुद्धि नहीं है इसलिए वह विरोध प्रतिक्रिया और विक्रिया से मुक्त नहीं हो सकता। आज जितना भी यह भ्रष्टाचार चल रहा है, जितने भी राजनीतिक-सामाजिक झंझट चल रहे हैं, क्यों चल रहे हैं? विचित्र बात यह है कि कोई आदमी भ्रष्टाचार को पसन्द नहीं करता, केवल अपने को छोड़कर । अपने द्वारा जो भ्रष्टाचार होता है, वह उसको पसन्द है। दूसरा कोई भी करता है, उसे पसन्द नहीं है। बच्चों को दूध ज्यादा चाहिए। बाजार में खरीदने जाए और उसे पानी मिला पतला दूध मिले तो क्या उसे अच्छा लगेगा? आटा, मसाला खरीदने के लिए बाजार में जाए और सारी चीजें मिलावटी मिले तो क्या अच्छा लगेगा? परिवार का सदस्य बीमार है। हॉस्पीटल में जाए तो कुछ उपहार दिए बिना, पूजा-पाठ किए बिना, हॉस्पीटल में भर्ती होना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति उसे कैसी
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