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ध्यान की कसौटी पकड़ने में बड़ी सुविधा होती है। जर्मनी के मजिस्ट्रेट ने प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लिया। उसने दो-तीन वर्ष के बाद लिखा- मेरी जागरूकता इतनी बढ़ गई कि मैं सामने आने वाली घटना का अंकन कर लेता हूं, उसका मूल्यांकन कर लेता हूं। मैं मजिस्ट्रेट हूं, मेरे सामने कोई अपराधी आता है, कटघरे में खड़ा होता है। मुझे बिना साक्ष्य के पता लग जाता है कि इस व्यक्ति ने अपराध किया है या नहीं। यह मुझे साक्षात प्रतीत हो जाता है।' यह जागरूकता का परिणाम है।
जो व्यक्ति जितना जागरूक, जितना संवेदनशील होता है, वह हर घटना को उतनी ही सूक्ष्मता से पकड़ लेता है। तिब्बत में एक ध्यान की प्रणाली चलती है, उसका नाम है कंफ। कंफू की प्रणाली बड़ी अजीब प्रणाली है। एक व्यक्ति ने अपना अनुभव लिखा-हम लोग तिब्बत गये। इस प्रणाली को जानना चाहा। हमें एक अंधे व्यक्ति के पास ले जाया गया। वह नब्बे वर्ष का था। उसने कहा-यह कुंफू की प्रणाली जागरूकता की प्रणाली है, संवेदनशीलता की प्रणाली है। इससे शरीर के सारे ज्ञान-तन्तु इतने संवेदनशील बन जाते हैं कि व्यक्ति हर किसी घटना को पकड़ लेता है। उसने कहा-तुम चार व्यक्ति लाठियां हाथ में ले लो और मुझे पीटना शुरू कर दो। मैं तुम्हारी एक भी चोट नहीं खाऊंगा। तुम मुझे पीटोगे, किन्तु मैं इतना संवेदनशील हूं कि कभी रास्ता निकाल कर बाहर चला जाऊंगा। उस व्यक्ति ने कहा-हम ऐसा काम नहीं कर सकते। आप इतने वृद्ध हैं, प्रज्ञाचक्षु हैं। हम आपके साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते । वृद्ध ने कहा-तुम मुझ पर दया मत करो। दया की बात छोड़ो। तुम्हें अगर कुंफू को समझना है तो मैं जैसा कहता हूं, वैसा करो। संकोच मत करो।
इस अजीब स्थिति का उल्लेख करते हुए उस व्यक्ति ने लिखा-मैं ऐसा नहीं कर सका, पर साथ में कुछ विद्यार्थी थे। पांच-सात विद्यार्थियों ने हाथ में लाठियां लीं। वृद्ध को घेर लिया और पीटने की तैयारी शुरू की। जैसे ही उन्होंने लाठियां चलाने की तैयारी की, उस वृद्ध व्यक्ति ने कहीं छिद्र देखा और उन विद्यार्थियों के घेरे से बाहर चला गया। विद्यार्थियों ने लाठियां चलाई। वे उन विद्यार्थियों पर ही गिरी। सबको बड़ा आश्चर्य हुआ। वृद्ध ने मुस्करते हुए कहा-पुन: परीक्षा कर देख लो। मैंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए पूछा-यह कैसे हो सकता है? एक अन्धा आदमी जिसको दिखाई नहीं देता, जिसके चारों तरफ घेरा डाला हुआ है, कहीं अवकाश नहीं है फिर भी वह घेरे से सकुशल कैसे निकल गया? उस वृद्ध व्यक्ति ने बताया-मेरे ज्ञानतन्तु इतने सक्रिय और संवेदनशील बन गये हैं कि मैं तरंगों से देख लेता हूं। तुम आंखों से देखते हो और मैं तरंगों से देखता हूं।
यह जागरूकता का निदर्शन है। वृक्ष कैसे जानते हैं? छोटे कीड़े-मकोड़े कैसे ज्ञान कर लेते हैं। वे ध्वनि प्रकम्पनों से ज्ञान कर लेते हैं कि समुद्री तूफान आने वाला है, भूकम्प आने वाला है, लावा फटने वाला है। छोटे-छोटे जानवरों को इनका पहले
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