Book Title: Tab Hota Hai Dhyana ka Janma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 189
________________ १७८ तब होता है ध्यान का जन्म ही पता चल जाता है। वे स्थान छोड़कर चले जाते हैं। उन्हें पता चलता है तरंगों के आधार पर, प्रकम्पनों के आधार पर। यह क्षमता मनुष्य के भीतर भी है। यदि जागरूकता बढ़ जाये तो उसे सूक्ष्म चीज का भी पता लगने लग जाये। बहुत बड़ा सूत्र है जागरूकता। जागरूकता नहीं है तो स्थूल चीज का पता भी नहीं चल सकता। एक आदमी ने गाय खरीदी। जैसे ही वह गाय को दुहने लगा, गाय ने लात मार दी और दूध भी नहीं दिया। दूध था ही नहीं, गाय दूध कैसे देती? उसने सोचा-फंस गया। दलाल से संपर्क किया दलाल। किसी ग्राहक को ले आया। ग्राहक ने गाय देखी, पूछा-'गाय तो ठीक है, दूध कितना देती है?' वह व्यक्ति बोला-'मैं क्या कहूं। मेरे पड़ोस में एक बड़ा भक्त आदमी रहता है, रात-दिन माला जपता रहता है। वही इसकी साख दे देगा, उसके पास चलो।' सब उसके पास आए। ग्राहक ने पूछा-'भक्तजी महाराज! यह गाय दूध कितना देती है ?' भक्त माला जप रहा था। उसने माला जपते-जपते एक पत्थर की ओर संकेत कर दिया। ग्राहक ने गाय खरीद ली। शाम का समय । वह गाय को दुहने बैठा। एक बूंद भी दूध नहीं मिला। दूध के स्थान पर लातों की मार अवश्य पड़ी। वह भक्त के पास आया, बोला-'इतने बड़े भक्त कहलाते हो, मुझे धोखा दे दिया। गाय तो बिल्कुल दूध नहीं देती।' भक्त ने कहा-'मैंने क्या धोखा दिया?' 'आप जब माला फेर रहे थे, तब आपने उस पत्थर की ओर संकेत किया था। वह पत्थर कम-से-कम दस किलो का था। मैंने सोचा-गाय दस किलो दूध देगी भक्त बोला-'मूर्ख ! मैंने तो यह कहा था-यह पत्थर दूध दे तो यह गाय दूध जागरूकता के बिना होता कुछ है, समझ लिया जाता है कुछ और। जिस व्यक्ति में जागरूकता नहीं बढ़ी, उसकी समझ की शक्ति भी इतनी मोटी बन जाती है कि वह स्थूल बात को भी नहीं पकड़ पाता। संकेत को पकड़ना तो और मुश्किल हो जाता है। जागरूकता ध्यान की निष्पत्ति है। ध्यान करने वाले व्यक्ति में उसका विकास होना चाहिए। दु:ख में कमी ध्यान की चौथी कसौटी है-दुःख में कमी। योगसूत्र में चंचलता का पहला परिणाम बतलाया है दु:ख । जो आदमी जितना चंचल है, उतना दु:खी है। जो चंचल नहीं होता वह बड़ी घटना को भी थोडे में समाप्त कर देता है। जो चंचल होता है, वह एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 187 188 189 190 191 192 193 194