Book Title: Tab Hota Hai Dhyana ka Janma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 186
________________ २२ ध्यान की कसौटी व्यक्ति ध्यान प्रारम्भ करता है, कुछ अभ्यास बढ़ता है। थोड़ा आनन्द का अनुभव होने लगता है, कुछ मानसिक शांति प्रतीत होने लगती है और व्यक्ति समझता है कि ध्यान सिद्ध हो गया। ये सब इस बात के लक्षण हैं कि ध्यान हो रहा है। प्रकाश दिखाई देना, रंग दिखाई देना, आनंद होना, प्रीति होना-ये सारे ध्यान के लक्षण तो हैं, पर कसौटियां नहीं हैं। ध्यान करने वाले व्यक्ति को प्रतिवर्ष अथवा प्रति मास यह कसौटी करते रहना चाहिए कि यथार्थ में ध्यान हो रहा है या नहीं? ध्यान सिद्ध हो रहा है या नहीं? जिज्ञासा होती है-ध्यान की कसौटी क्या है? ध्यान की अनेक कसौटियां हैं। उनमें सात ये हैं १. आहार का संयम। ५. दौर्मनस्य का अभाव । २. वाणी का संयम ६. श्वास की संख्या में कमी। ३. जागरूकता। ७. संवेदनशीलता। ४. दुःख में कमी। आहार का संयम ध्यान की पहली कसौटी है-आहार का संयम। यदि आहार का संयम सधा है तो मान लेना चाहिए-ध्यान भी सध रहा है। व्यक्ति ध्यान करता चला जा रहा है और आहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है। जैसे पहले खाता था, वैसे ही खाता चला जा रहा है, जीभ की लोलुपता कम नहीं हुई है तो मानना चाहिए, ध्यान सिद्ध नहीं हो रहा है। यह निश्चित है कि जिस व्यक्ति का ध्यान सिद्ध होगा, उसमें आहार की आसक्ति कॅम होगी, उसके खाने का उद्देश्य बदल जायेगा। कहा जाता है-जीने के लिए खायें, खाने के लिए न जीयें। यह बात सुनने में अच्छी लगती है, पर यह सार्थक तब बन सकती है, जब भोजन की आसक्ति छूट जाये। यदि आसक्ति छूटे तो समझना चाहिए कि ध्यान की कुछ निष्पत्ति हुई है, मेरे चरण ध्यान की दिशा में कुछ आगे बढ़ रहे हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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