Book Title: Tab Hota Hai Dhyana ka Janma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 164
________________ १५३ मानवीय सम्बन्ध और ध्यान कर्म और ध्यान __ समस्या यह है-इस बात को समझने के लिए जैसा जीवन होना चाहिए, वैसा जीवन नहीं है। मानव का जीवन खण्डित-खण्डित-सा हो गया है। अखण्ड जीवन के लिए कर्म और ध्यान-दोनों का योग चाहिए। ध्यान का अर्थ है चित्त की शुद्धि। जहां कोरी चित्तशुद्धि है और प्रवृत्ति नहीं है, वहां भी जीवन में पूर्णता नहीं आती। जहां कोरी क्रिया है और चित्तशुद्धि नहीं है। वहां जीवन ज्यादा विभक्त हो जाता है, विखण्डित हो जाता है। दोनों का योग होना चाहिए-चित्तशुद्धि भी हो और क्रिया भी हो तब सही स्थिति बनती है। वर्तमान की जीवन प्रणाली ने प्रवृत्ति को बहुत प्रोत्साहन दिया–क्रिया करो, श्रम करो, उद्यम करो, उद्योग लगाओ, कारोबार को बढ़ाओ। इस प्रवृत्तिवाद को बड़ा प्रोत्साहन दिया और चित्तशुद्धि की बात को भुला दिया। परिणाम यह आया-कर्म स्वयं प्रदूषण बन गया। जो प्रदूषण आज बढ़ा है, वह प्रदूषण कर्म ने पैदा किया है। प्रदूषण क्यों बना? क्यों बढ़ा? इसलिए कि चित्तशुद्धि की बात प्रवृत्ति से निकल गई। ध्यान के बिना चित्तशुद्धि की संभावना कम हो जाती है और चित्तशद्धि के बिना क्रिया सम्यक नहीं होती। क्रिया, प्रतिक्रिया और विक्रिया क्रिया, प्रतिक्रिया और विक्रिया-ये तीन शब्द प्रवृत्ति से जुड़े हैं। एक आदमी क्रिया करता है। यदि उसकी पृष्ठभूमि में चित्तशुद्धि नहीं है तो क्रिया की प्रतिक्रिया होगी। जहां प्रतिक्रिया होगी, वहां विक्रिया होगी, विकार होगा। एक व्यक्ति ने प्रभु से प्रार्थना की-मुझे चूहा बना दो। बड़ी विचित्र बात है। क्या कोई आदमी चूहा बनना चाहेगा? चूहा बना दो, वह जो क्रिया है, उसके पीछे एक प्रतिक्रिया है। उस प्रतिक्रिया ने विक्रिया पैदा की, व्यक्ति के मन में विकार पैदा कर दिया और उस व्यक्ति ने चूहा बनने की प्रार्थना कर दी। विक्रिया है चूहा बनने की प्रार्थना, पर यह है प्रतिक्रिया से उपजी विक्रिया। पत्नी के स्वभाव ने उसके मन में यह प्रतिक्रिया उत्पन्न की। पति और पत्नी -दोनों में खूब लड़ाइयां होती। पत्नी पति की कोई बात नहीं मानती। पति जो भी कहता, उसका उलट कर जवाब देती। पति तंग आ गया। उसका मन प्रतिक्रिया से भर गया। इस प्रतिक्रिया के कारण यह स्वर निकला, यह विक्रिया आई-मुझे चूहा बना दो। एक व्यक्ति ने पूछा-'भई ! चूहा क्यों बनना चाहते हो?' उसने कहा-'मेरी पत्नी और किसी से नहीं डरती, केवल चूहे से डरती है।' संस्क्रिया करें ___ यह चूहा बनने की प्रार्थना विक्रिया है। उसके पीछे एक प्रतिक्रिया है। प्रतिक्रिया क्यों पैदा हुई? इसलिए कि जो क्रिया है, वह चित्तशुद्धि से शून्य है। जहां-जहां चित्तशुद्धि से शून्य क्रिया होगी वहां-वहां प्रतिक्रिया होगी और जहां प्रतिक्रिया होगी वहां विक्रिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194