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सामाजिक समता और ध्यान
१५१ समस्या का समाधान होता। आज का कोई बच्चा जन्मेगा, वह अनक्षर नहीं रहेगा, सब साक्षर बनेंगे तो संपूर्ण नई पीढ़ी साक्षर बन जाती। इस दिशा में ध्यान बहुत कम दिया जा रहा है। ध्यान का अभियान चले
प्रश्न यह है-जैसे साक्षरता का अभियान, प्रौढ़ शिक्षा का अभियान चल रहा है, क्या वैसे ही ध्यान का अभियान नहीं चलाया जा सकता? हर बच्चे को ध्यान सीखना है। यदि यह अभियान भी चले तो मुझे लगता है कि सामाजिक समस्याओं को काफी समाधान मिलेगा। साक्षर बनने वाला बुराइयों से बचेगा या नहीं बचेगा किन्तु ध्यान करने वाला अवश्य ही कुछ मात्रा में बचेगा, उसमें अवश्य ही परिवर्तन आएगा। समस्या-यह बात अभी तक उन लोगों के समझ में नहीं आ रही है, जो शिक्षाशास्त्री हैं, शिक्षा संस्थानों का संचालन कर रहे हैं, जो सरकार के शिक्षा-विभाग में हैं या शिक्षा की नीतियों का निर्धारण करते हैं। यदि यह बात समझ में आ जाए कि ध्यान के द्वारा मस्तिष्क को बहुत संस्कारी किया जा सकता है, प्रशिक्षित किया जा सकता है और ध्यान के द्वारा प्रशिक्षित मस्तिष्क समाज के लिए बहुत कल्याणकारी हो सकता है तो शायद हमारे चिंतन में कोई नया मोड़ आ सकता है। मैं कल्पना और मंगल भावना करता हूं कि यह चिंतन आए, एक नया मोड़ आए और सामाजिक समता के लिए हम ध्यान का मूल्य आंक सकें। अगर ऐसा क्षण आया तो वह समाज के लिए सचमुच बड़ा कल्याणकारी होगा।
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