Book Title: Tab Hota Hai Dhyana ka Janma
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 138
________________ नशा और ध्यान प्रश्न है-आदमी नशा क्यों करता है? जब राग या द्वेष प्रबल होता है तब मनुष्य का मन तनाव से भर जाता है। राग-द्वेष तनाव पैदा करते हैं। आदमी तनाव में जीना नहीं चाहता, वह सुख से जीना चाहता है। जैसे ही तनाव पैदा होता है, वह तनाव से मुक्त होना चाहता है। तनाव से, चिंता से मुक्ति का उपाय चाहिए। मनुष्य ने एक उपाय खोजा-अपने आपको भुला देना। एक बहुत बड़ी सचाई है। अपने आपको भुला देता है, एक दूसरी दुनिया में चला जाता है। हमारे जितने संवेदी तंतु हैं, ज्ञान तंतु हैं, नशा उनको निष्क्रिय बना देता है। जो संदेश ज्ञान तंतुओं के द्वारा मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, जिन्हें मस्तिष्क ग्रहण करता है, उनका संबंध बीच में ही टूट जाता है। मूर्छा की स्थिति बन जाती है, जागरूकता समाप्त हो जाती है। दो शब्द हैं--प्रमाद और अप्रमाद । प्रमाद स्वयं नशा है। अप्रमाद का मतलब है जागरूकता। जहां प्रमाद की स्थिति है, वहां आदमी अपने आपको भूल जाता है। जहां जागरूकता की स्थिति है, वहां व्यक्ति अपने प्रति भी जागरूक होता है और दूसरों के प्रति भी जागरूक रहता है। नशे के प्रकार नशा बहुत पुराने काल से चल रहा है। आज नशे का वर्गीकरण करें तो चार मुख्य वर्गीकरण बन जाएंगे। एक शराब का नशा है। लोग शराब पीते हैं, पागलपन आ जाता है। दूसरा है-तम्बाकू का नशा । सिगरेट, बीड़ी, जर्दा और गुटका, पानपराग आदि जर्दा-युक्त जितने पदार्थ हैं, उनका सेवन एक प्रकार का तम्बाकू का नशा है। तीसरा है-भांग, गांजा, चरस आदि का नशा। चौथा है-अफीम, हेरोइन आदि का नशा। हेरोइन का नशा बहुत घातक है। जो व्यक्ति हेरोइन का आदी बन जाता है, वह ज्यादा जीता नहीं है। उसे कुछ वर्षों में ही मरना पड़ता है। उस नशे का छूटना भी मुश्किल हो जाता है। ये चार प्रकार के नशे हैं, जो उन्माद पैदा करते हैं। शराब से आदमी पागल बन जाता है। तम्बाकू पीने वाला शराबी की भांति भान नहीं भूलता, उतना पागलपन नहीं आता किन्तु आज यह मान लिया गया कि तम्बाकू के द्वारा जितना स्वास्थ्य को नुकसान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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