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ध्यान कोई जादू नहीं है
शांति के अभाव में मरने की बात भी न सोचता रहे। सुविधा के साधन और मन की शांति-दोनों आवश्यक हैं, किन्तु सुविधा से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है मन की शांति । बहुत बार मन की शांति के अभाव में आदमी जीवन को भी दांव पर लगा देता है। जिन्दगी दांव पर न लगाएं
एक गांव में मल्ल-कुश्ती का आयोजन था। एक ओर बहुत पुराना मल्ल था, दूसरी ओर बहुत हट्टा-कट्टा नौजवान मल्ल था। पुराना मल्ल बूढ़ा हो चला था। गांव के लोगों ने कहा-आज तो बड़ी समस्या है। जो दूसरे गांव से मल्ल आया है, वह नौजवान है और तुम बूढ़े हो गये हो। कहीं ऐसा न हो कि गांव की बदनामी हो जाये, तुम हार जाओ। मल्ल बोला-तुम चिंता मत करो, मैं सब दांव जानता हूं। गांव के लोग आश्वस्त हो गये। कुश्ती के समय से पूर्व वृद्ध मल्ल नौजवान मल्ल के पास गया, उसके कान में मृदु स्वर में बोला-देखो, कुश्ती में जो जीतता है, उसे पचास रुपया मिलता है। जो हारता है, उसे कुछ भी नहीं मिलता। तुम अभी नौजवान हो, नए-नए कुश्ती में उतरे हो, तुम्हारी आजीविका का स्रोत यही है। मैं तो पुराना हो गया हूं, मैंने बहुत कमा लिया है। मुझे पचास रुपये नहीं मिलेंगे तो कोई बात नहीं है, किन्तु तुम्हारे पचास से क्या होगा? यदि तुम मुझे जिता दो तो मैं तुम्हें पांच सौ रुपये दूंगा। नौजवान मल्ल ने सोचा-यह तो अच्छा प्रस्ताव है। जीत जाऊंगा तो पचास मिलेगा और इसको जिता दूंगा तो पांच सौ रुपये मिलेंगे। शर्त तय हो गई। नौजवान मल्ल ने उसे जिताने का वादा कर लिया। कुश्ती शुरू हुई। थोड़ी देर तक नौजवान मल्ल लड़ा, कुछ दांव-पेंच खेले और फिर उसने जानबूझकर ऐसे दांव खेले कि वृद्ध मल्ल जीत गया। कुश्ती की प्रतियोगिता समाप्त हो गई। चारों ओर गांव की वाह-वाही हो गई। दूसरे गांव से आने वाले निराश हो गए। संध्या का समय। जवान मल्ल पुराने मल्ल के पास गया, बोला-लाओ, पांच सौ रुपये। वृद्ध मल्ल ने कहा-कौन-से पांच सौ रुपये? नौजवान मल्ल यह सुनकर विचलित हो उठा। उसने कहा-अरे! तुमने ही शर्त रखी थी कि यदि मुझे जिता दो तो तुम्हें पांच सौ रुपये दूंगा।
___ वृद्ध मल्ल ने मुस्कुराते हुए कहा-'तुम मल्ल बने, इतना भी नहीं जानते कि मल्ल-कुश्ती में बहुत सारे दांव-पेंच होते हैं। वह प्रस्ताव भी मेरा एक दांव ही था।'
नौजवान मल्ल यह सुनकर अवाक् रह गया।
यह जिन्दगी दांव-पेंच की जिन्दगी है। प्रत्येक व्यक्ति दांव और पेंच से घिरा है, मल्ल-कुश्ती खेल रहा है। यदि दांव के साथ जिन्दगी चले, तो क्या मिलेगा? मनुष्य अपने जीवन को भी सुविधा पाने के लिए, केवल धन पाने के लिए, पदार्थ पाने के लिए दांव पर लगा दे तो पांच सौ भी नहीं मिलेंगे। यह विवेक जरूरी है कि शांति के मूल्य पर
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