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तब होता है ध्यान का जन्म
प्रतियों को पढ़ते चले गए। इसका मैं क्या करूं?
आदमी इतनी आवृत्तियां करता है कि एक ही बात को रटता चला जाता है। यह रट कभी पूरी नहीं होती और समस्या का कोई समाधान नहीं मिलता। इन हिंसा, घृणा आदि आवृत्तियों को कम करने के लिए मौलिक और नई बात पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। ध्यान हमारी मौलिक चेष्टा है, अपने अस्तित्व तक पहुंचने की चेष्टा है, मन को संतुलित करने का प्रयत्न है। जैसे ही मन संतुलित बनता है, निषेधात्मक विचार समाप्त हो जाते हैं। हम ध्यान की गहराइयों में जाने की बात छोड़ भी दें, सब लोगों के लिए यह संभव नहीं है। जिसमें श्रद्धा और आकर्षण है, वे आत्मा और अध्यात्म की गहराइयों में जाने में रस लेते हैं। उनको रस इतना आता है कि इक्षुरस भी फीका लगने लग जाता है किन्तु जिनमें इतना आकर्षण नहीं है, उनके लिए भी ध्यान करना जरूरी है। वह इसलिए जरूरी है कि वे कम से कम अपनी मानसिक समस्याओं से जूझ सकें, उनका समाधान स्वयं ढूंढ सकें। एक दवा है ध्यान
__कंठ से सिर तक का जो भाग है, वह उलझन पैदा करने वाला भी है, उलझनों को सुलझाने वाला भी है। यदि हम ठीक बटन दबाएं तो प्रकाश हो जाएगा। यदि बटन दबाना न जानें तो अन्धकार सघन हो जाएगा। अन्धकार और प्रकाश-दोनों हैं। हमें उस भाग को प्रशिक्षित करना है, जिससे मस्तिष्क शांत और संतुलित रहे, उत्तेजित न हो। कोई भी उत्तेजना का क्षण आता है, सबसे पहले सिर गर्म होता है। जिस समय सिर गर्म होता है, उस समय आप जो कुछ भी सोचेंगे, वह चिन्तन सही नहीं होगा, वह निर्णय सही नहीं होगा। जिन-जिन व्यक्तियों ने जब कभी दिमाग की गर्मी में निर्णय लिया है, वह गलत ही सिद्ध हुआ है। अनेक बार इस भाषा में कहा जाता है-ठण्डे दिमाग से सोचो, एकांत, शांत स्थिति में सोचो। दिमाग को गर्म करना अच्छा नहीं है। उत्तेजना का कार्य है दिमाग को गर्म करना। यह ललाट का भाग, इमोशनल एरिया है, कषाय का क्षेत्र है। आप ठण्डा रखेंगे, शांत और संतुलित रखेंगे तो चिन्तन सही होगा, निर्णय सही होगा और प्रवृत्तियां सही ढंग से चलेंगी। जब-जब यह गर्म होता है, मनुष्य डॉक्टर के पास जाता है, दवा लेता है, शामक औषधियों का सेवन करता है। ध्यान से बड़ी शामक औषधि क्या होगी? जब पूरे ललाट पर श्वेत रंग का ध्यान करते हैं, दिमाग की गर्मी का विलयन हो जाता है। यह सबसे बड़ी शामक औषधि है। मस्तिष्क को शांत रखने की इससे बड़ी कोई दवाई सामने नहीं आई। जितनी औषधियां हैं, वे एक बार शमन करती हैं किन्तु उनके साइड इफेक्ट्स भी बहुत होते हैं। ध्यान एक ऐसी दवा है, जिससे दिमाग शांत रहता है और उसका कोई बुरा प्रभाव नहीं होता।
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