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ध्यान और परिवार
एक डॉक्टर ने कहा-'महाराज ! चंचलता बहुत है, क्रोध भी बहुत आता है।' मैंने कहा-'चंचलता अधिक है तो क्रोध तो आएगा ही।' 'यह क्यों होता है?'
चंचलता का मुख्य कारण भीतर की वृत्तियों का दबाव है और क्रोध का मुख्य कारण है अहंकार।'
'महाराज ! क्रोध और अहंकार का क्या संबंध है?'
मैंने कहा-'तुम्हारी पत्नी है। तुम उसे कुछ कहते हो और वह नहीं मानती है तब तुम्हारा चिंतन यह होता है-मेरी पत्नी मेरी बात को नहीं मानती। बस, इस बात से अहंकार इतना फुफकारने लगता है कि क्रोध उभर आता है।'
डॉक्टर बोला-'महाराज ! यही होता है, ऐसा ही होता है।'
पारिवारिक झगडों में क्रोध की मुख्य भूमिका है और क्रोध की पृष्ठभूमि में रहता है अहंकार। जितना प्रबल अहंकार उतना प्रबल आवेश और जितना प्रबल आवेश उतना ही संघर्ष। पारिवारिक कलह का लोभ भी एक कारण बनता है। दो भाई बंटवारा कर रहे हैं। बंटवारे में थोड़ा इधर-उधर हो गया। पिता ने किसी को अधिक दे दिया, किसी को कम दे दिया। जिसको कम मिलता है, उनका मन आक्रोश से भर जाता है। स्थिति यह बन जाती है-जो भाई राम-लक्ष्मण कहलाते थे, वे राम-रावण बन जाते हैं। क्रोध और लोभ-ये दोनों संघर्ष के बड़े कारण बनते हैं। रुचियां अलग-अलग, चिंतन-विचार अलग-अलग, सोचने के भिन्न-भिन्न प्रकार । अपने से भिन्न विचार के प्रति अरुचि पैदा हो गई, अप्रीति पैदा हो गई और समस्या की शुरुआत हो गई।
___ एक बहिन ने कहा-मुझे कुछ उपाय बताओ, मार्गदर्शन दो। वह यह कहते हुए रोने लगी। उसकी दयनीय मुद्रा को मैंने देखा, सचमुच दया आ गई। उसने कहा-क्या
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