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तब होता है ध्यान का जन्म
कौन करता है क्रोध
आज की बहुत सारी समस्याएं इसलिए चल रही हैं कि हमने आंतरिक जगत् की ओर ध्यान नहीं दिया। इसीलिए यह कहा जा रहा है, बाहर उजला, भीतर मैला। बाहर में तो बहुत उजले कपड़े पहन लिए, शरीर को भी उजला बना लिया, प्रसाधन का ऐसा उपयोग किया कि शरीर भी गोरा-गोरा, उजला दिखने लगा, पर भीतर में मैलापन गहरा रहा है। शांति कैसे होगी? आनन्द कैसे होगा? आदमी कैसे अच्छे ढंग से जी सकेगा? एक व्यक्ति को क्रोध आता है और वातावरण बिगड़ जाता है। क्रोध किसी वस्तु ने किया या आदमी ने? घड़ी कभी क्रोध नहीं करती, माइक कभी क्रोध नहीं करता, खंभे कभी क्रोध नहीं करते। कोई भी पदार्थ क्रोध नहीं करता।
___ क्रोध कौन करता है? आदमी क्रोध करता है। जब एक आदमी क्रोध करता है तो दूसरे को भी क्रोध आता है। एक आदमी क्रोध में आकर किसी को गाली देता है तो दूसरे आदमी को दु:ख होता है। यह दु:ख कहां से आया? यह अन्तर्जगत् से आया। अन्तर्जगत् में क्रोध पैदा हुआ। उसने गाली दी। गाली बाहर के जगत् में आई। दूसरे के कानों से टकराई और उसके भीतरी जगत् में पहुंची, तब दु:ख हुआ। जब अन्तर्जगत् का संपर्क हुआ तब दु:ख हुआ। बाहर के जगत् में कोई दु:ख नहीं होता। एक आदमी ने गाली दी और दूसरे ने नहीं सुनी, उसे कुछ भी नहीं हुआ। उसको दु:ख तब होता है, जब वह गाली को सुन लेता है। केवल सुनने से ही दु:ख नहीं होता। जब वह गाली को स्वीकार कर लेता है, यह मान लेता है कि मुझे गाली दी गई है, तब उसको दुःख होता है। अगर नहीं स्वीकारता है तो कोई दु:ख नहीं होता। कहां पहुंची गालियां?
साधक तपस्वी के पास एक व्यक्ति आया। उसने बहुत गालियां दीं। क्या तुम संन्यासी बन गए? घर को छोड़ दिया, परिवार को छोड़ दिया, क्या हुआ? पलायन कर गए? अगर सब लोग ऐसे ही हो जाएं तो संसार कैसे चलेगा? उसने काफी बकवास की, गालियां दीं। वह गाली देता जा रहा है और साधक हंसता जा रहा है। गाली देने वाला उत्तेजित हो गया। यदि सामने वाला उत्तेजित होता है तो गाली देने वाले को गाली देने में मजा आता है और सामने वाला उत्तेजित न हो तो गाली देने वाला एकदम चिड़चिड़ा हो जाता है, ज्यादा गुस्से में आ जाता है। वह सोचता है-अरे ! यह क्या, मैं तो गाली दे रहा हूं और इस पर कोई असर ही नहीं हो रहा है, सुनता ही नहीं है। मिट्टी का है क्या?
आखिर वह व्यक्ति थक गया, बोला-बाबा ! बात क्या है? इतनी गालियां दीं
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