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बाहर उजला भीतर मैला
१०१ में काम करने की क्षमता और कुशलता का विकास । उसका प्रशिक्षण चल रहा है। दूसरा पहलू बाहर के जगत् की कुशलता का नहीं है। आप यह न मानें कि ध्यान करने से आपकी बौद्धिक क्षमता बहुत बढ़ जाएगी और आप व्यापार करने में बहुत ज्यादा सफल हो जाएंगे। यह हो सकता है, सफलता भी मिलती है, किन्तु इसे मुख्य बात न मानें। मुख्य बात यह है कि ध्यान के द्वारा मस्तिष्क का वह भाग प्रशिक्षित हो जाएगा, जो समस्या पैदा कर रहा है, जो अपरिष्कृत है। वह भाग प्रशिक्षित होकर अन्तर्जगत् में पैदा होने वाली समस्याओं पर नियंत्रण करेगा। फिर आपके मन में क्रोध की बात ज्यादा नहीं आएगी, अहंकार नहीं सताएगा, फिर लोभ पर भी नियंत्रण हो जाएगा और यह सचाई सामने आएगी-आखिर मैं सामाजिक विषमता क्यों पैदा कर रहा हूं? क्यों एक ओर इतना बड़ा पहाड़ बनाकर दूसरी जगह गड्ढा बना रहा हूं? तब होगा समस्या का अन्त
एक है बाहर के जगत् का संचालन करने वाला मस्तिष्क और दूसरा है भीतर के जगत् का संचालन करने वाला मस्तिष्क। इन दोनों मस्तिष्कों को हम साफ-साफ समझ लें और इस बात को भी समझ लें-जब तक भीतर के जगत् का संचालन करने वाला मस्तिष्क परिष्कृत नहीं होगा, तब तक समस्याओं का कभी अंत नहीं होगा। हिंसा, हत्या, आत्महत्या, परहत्या, भ्रूणहत्या-ये जितनी हिंसाजनित समस्याएं हैं, उनका कोई अंत नहीं होगा। चाहे अणुबम की जगह महाअणुबम बन जाए, समस्या का अंत नहीं आएगा, क्योंकि उनको बनाने वाला, उनका संचालन करने वाला मस्तिष्क जिन्दा है और वह जब तक जिन्दा है, तब तक इनका अंत नहीं होगा। यह बात उजली दुपहरी की भांति साफ-साफ हमारे समझ में आ जाए-केवल एक प्रकार की शिक्षा से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। हमें समस्याओं का समाधान करना है तो बौद्धिक विकास के साथ उस भावनात्मक मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होगा, जो निषेधात्मक भावों को जन्म दे रहा है। उसे इतना प्रशिक्षित कर लें कि ये निषेधात्मक भाव समाप्त हो जाएं, वहां से सृजनात्मक-विधायक भाव बाहर निकलें और वे भाव बाहर के जगत् को भी अधिक सुन्दर बना सकें।
आज का जगत् सुन्दर नहीं है। जहां चारों तरफ आतंकवाद, बंद, महाबंद, कपy चलता रहता है, वहां क्या सुन्दर है? कश्मीर की घाटी सौन्दर्य की छाया में जीती थी, आज कर्पू के साये में जी रही है। बाहर का जगत् सुन्दर कैसे बना? कश्मीर सुन्दर था, कश्मीर का सौन्दर्य दर्शनीय था। आज उसे असून्दर किसने बना दिया? गोलियों ने, राइफलों ने, मशीनगनों ने, बमों ने, बम के विस्फोटों ने उस सन्दर घाटी को आज इतना असुन्दर बना दिया है कि कोई यात्री वहां जाना नहीं चाहता। जहां यात्री जाते थे, वहां जाने के नाम से आज सब डरते हैं। यह भयानक स्थिति किसने पैदा की है?
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