________________
सिद्धांत
रहस्य ॥२२॥
अने तपवडे. हवे मोक्षतत्व उपर नव द्वार उतारे छः-१ सत्पद-प्ररूपणा ते मोक्षगति पूर्व काले हती, हमणा
मोक्षतत्त्व छे अने आगामिकाले पण हशे; ते छती 'अस्ति' छे पण आकाशना फूलनीपरे 'नास्ति' नथी.२ द्रव्य प्रमाण-ते सिद्ध अनंत छे, ते पंचमे अनंते छे. अभव्यजीवथी अनंतगुण अधिक छे, वनस्पतिनाजीव वर्जीने त्रेवीश दंड- ॥२२॥ कथी सिद्धना जीव अनंत गुण अधिक छे. ३ क्षेत्रद्वार-ते सिद्धशिला प्रमाण, सिद्धशिला ४५ लाखयोजननी || लांबी-पहोळी छे अने त्रिगुणी झाझेरी परिधि छे.तेना एक गाउना छठे भागे-त्रणसेंतेंत्रीश धनुष्य अने बत्रीश अंगुल उंचपणे लोकांते रह्या छे.४ स्पर्शनाद्वार-ते सिद्धक्षेत्रथी कांइक सिद्धनी स्पर्शना अधिक छे.५ कालद्वार-ते एक सिद्ध आश्रयी सादिअनंत अने सर्व सिद्ध आश्रयी अनादिअनंत छे,६ अंतरद्वार-ते फरीने सिद्धने संसारमा अवतरवू नथी अथवा ज्यां एक सिद्ध छे त्यां अनेक सिद्ध छे अने अनेक सिद्ध छे त्यां एक सिद्ध छे. एटले सिद्ध सिद्धमा अंतर नथी; ज्योतिमां ज्योति समाइ गयेल छे.७ भागद्वार-ते सघला जीवना अनंतमे भागे सिद्धना जीव छे, लोकना असंख्यातमे भागे छे. ८ भावद्वार-ते सिद्धमां क्षायकभावे केवलज्ञान, केवलदर्शन | अने क्षायकसमकित छे अने परिणामिक भावे जीवपणुं जाणवू. ९ अल्प बहुत्वद्वार-ते सर्वथी थोडा नपुंसक । जे एक पद होय ते शुद्ध पद कहेवाय, मोक्ष एक पद छे माटे 'सत्' छे. शश-शृंगादि वे पदनु निर्धार न होय-असत्-पण होय. २ ज्यारे (कोइ | पग समये) केवली प्रभुने पूछवामां आवे त्यारे एकज जवाब मळे के 'सर्व सिद्धना जीव' एक निगोदना जीवोथी अनंतमे भागे छे. ३ सिद्ध पण जीव छे, कारण? अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत अव्याबाध सुख अने अनंत वीर्य, ए चार भाववडे सदा जीवे छेमाटे सिद्धमा जीवपणु का हे.