Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 230
________________ सिद्धांतरहस्य | ॥२२२॥ भव-संवेध विचार ॥२२२॥ 4545555251549k नारको, मनुष्य थता नथी. छए नरकना नारको, उत्कृष्टथी क्रोड पूर्वना आयुष्यवाला मनुष्योमा उपजे छे. पृथ० मासना आयुष्यवालो मनुष्य, उत्कृष्ट थी बे देवलोक सुधी जाय छे अने पृथ० वर्षना आयुष्यवालो मनुष्य, छेक सर्वार्थ सिद्ध सुधी जाय छे. क्रोड पूर्व सुधीना आयुष्यवालो मनुव्य, सर्वत्र जाय छे अने उ० थी त्रण पल्यना आयुष्यवालो मनुष्य, इशान देव० सुधी जाय छे. ज. अंतर्मु. आयुष्यवालो तियच अने पृथ० मासना आयु. मनुष्य, युगलिक मनुष्य अथवा तियच थाय छे. उ० क्रोड पूर्वना आयु. मनुष्य अने तियचो, युगलिक मनुष्य अने तियंचमां जाय छे. क्रोड पूर्वथी अधिक आयु. मनुष्य अने तिर्यचो, युगलिकमां उपजता नथी. हवे | | बाकी रहेला ( स्थावरादिक )नी पूर्वापर बन्ने भवनी उ० अने ज. स्थिति, तेओना उ० अने ज. आयुष्यनी | अपेक्षाए जाणवी. वली एवीज रीते विवक्षित वर्तमान भवनी अने प्राप्त थनारा भवनी उ० ने ज• स्थिति, तेमज उ० ने ज० भवसंख्या स्ययं जाणीने विवक्षित प्राणिओना भवसंवेधन काल-मान उ० ने ज० थी विचारीने कहेवू. जेमके पहेली नरकमां उ० आयुष्य पामेला उ० आयुष्यवाला मनुष्यनो उ० भव संवेधकाल, चार सागर अधिक चारक्रोड पूर्वनो होय छे अने ते बन्ने गतिना उ. आयुष्यवालानो भवसंवेधकाल, ज. थी एक सागर | अधिक एक क्रोड पूर्वनो होय, उ. आयुष्यवाला मनुष्य अने ज० आयुष्यवाला नारकनो उ० भवसंवेधकाल, चालीश हजार वर्ष अधिक चार क्रोड पूर्वनो होय छे. उ. आयुष्यवाला मनुष्य अने ज० आयुष्यवाला नार २ उत्कृष्टथी चार भव मनुष्यना अने चार भव नरकना करे. जघन्यथी एक भव मनुष्यनो अने एक भव नरकनो माटे.

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