Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 242
________________ सिद्धांत रहस्य ॥२३४॥ छे अने घणा जीवो आश्रयी अनादि-अनंत छ. २ क्षेत्रधी भरत-औरावत आश्रयी सादि-सांत अने महाविदेह पांचज्ञान, आश्रयी अनादि-अनंत छ. ३ कालथी उत्सर्पिणी-अवसर्पिणीकाल आश्रयी सादि-सांत अने महाविदेह आ स्वरुप श्रयी सदाकाल होवाथी अनादि-अनंत छे. ४ भावथी भव्य जीव आश्रयी सादि-सांत अने अभव्य आश्रयी ॥२३४॥ | ( मिथ्याश्रुत ) अनादि-अनंत छ. ११ जे सूत्रमा जे आलापक (आलावा ) सरखा होय ते गमिकश्रुत, ते प्रायः दृष्टिवाद सूत्रने विषे होय अने १२ जे सूत्रमा आलापक सरखा न होय ते अगमिकश्रुत, ते प्रायः कालिक| श्रुतमा होय. १३ जे द्वादशांगीरुप ते अंग प्रविष्ट तेमां पहेलं आचारांग १८ हजार पदनुं छे एम क्रमशः इग्यार अंग सुधी पदनुं प्रमाण बमणुं (डबल) जाणवू. बारमुं दृष्टिवाद अंग तेना पांच भेद छे-१ परिकर्म, २ सूत्र, ३ पूर्वानुयोग, ४ पूर्वगत अने ५ चूलिका. चोथा पूर्वगत भेदमां १४ पूर्वो छे. तेना नामः-१ उत्पादपूर्व, एकक्रोड | पदनुं छे. २ अग्राहणी (अग्रेणीय) पूर्व ते ९६ लाख पदनुं छे. ३ वीर्यप्रवाद पूर्व, ते ७० लाख पदनु छे ४ अस्तिहा प्रवाद पूर्व. ते ६० लाख पदनु छे. ५ ज्ञानप्रवाद पूर्व, ते एकपद न्यून क्रोड पदनु छे. ६ सत्यप्रवाद पूर्व, ते छ | पद अधिक एक क्रोड पदनुं छे. ७ आत्मप्रवाद पूर्व, २६ क्रोड पदनु छे. ८ कर्मप्रवाद पूर्व, एक क्रोड अॅसीलाख, पदनुं छे. ९प्रत्याख्यानप्रवादपूर्व, ८४ लाख पदनुं छे. १० विद्याप्रवाद पूर्व, एकक्रोड दश लाख पदनु छे. ११ कल्याण ( अवंध्य ) पूर्व, २६ क्रोड पदनुं छे. १२ प्राणायुः पूर्व, एक क्रोड छपन्नलाख पदनुं छे. १३ क्रिया||

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