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सिद्धांतरहस्य
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अवश्य अन्य पर्याय पामे. उ० थी सात भव करे तेमां पण मनुष्यना चार अने देवना त्रण भव करे. ज० थी | बे भव करे ते एक मनुष्यनो अने एक देवनो एम जाणवुं विजयादि चार अनुत्तर-विमानमां उत्पन्न तो मनुष्य, ज० श्री त्रण भव अने उ० थी पांच भव चारे भांगे करे. सर्वार्थ सिद्धमां ज० ने उ० त्रण भव करें पछी अवश्य मोक्ष जाय छे. युगलिक मनुष्य अने तिर्यचो, भवनपति व्यंतर ज्योतिष्क अने पहेला वे देवलोकमां बे भव करे. कारण ? देव मरीने युगलिक थाय नहिं. असंज्ञी पर्याप्त तिर्यच, पहेली नरक भवनपति अने व्यंतरमां बे भव करे. कारण ? नरक के देवमांथी असंज्ञी तिर्यंचमां जाय नहिं भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क तथा सहस्रार सुधी देवलोकना देवो अने पहेली छ नरकना नारको ए सर्व, संज्ञी तिथेच अने मनुष्य पर्याप्तमां आठ भव करे पछी अवश्य अन्यभव करे. ज० स्थितिवाला सातमी नरकना नारको, संज्ञी पर्याप्त तिर्यचमां उ० थी छ भव करें. अने उ० स्थितिवाला नारको, चार भव करे अने ज० थी वे भव करे. आनत आदि चार | देवलोकना देवो अने नव ग्रैवेयकना देवो, मनुष्य गतिमां उ० थी छ भव करे अने विजयादि चार अनुत्तरना देवो उ० थी चार भव करे अने ज०धी आनतादि सर्व देवो बे भव करे. सर्वार्थ सिद्धना देवो, ज० ने उ०धी बेज भव करे. भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क अने सौधर्म ने इशान देवलोकना देवो, पृथ्वी का० अपूका० अने वनस्पतिका० मां उपजे तो बेज भव करे. असंज्ञीपंचेंद्रिय तथा सज्ञीपंचेंद्रिय तिर्यचो अने सज्ञी मनुष्यो, युगलिक मनुष्य अने तिर्यचमां बेज भव करे. पृथ्वीकायिक जीव, ज० स्थितिमां अपका० तेउका० अने वायुका० मां
भव-संवेध विचार
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