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सिद्धांत
रहस्य ॥२०२॥
श्रीश वर्ष दीक्षा० १२ मुक्ते गया १३ नमीनाथना तीर्थमां थया १४ इग्यारमा जयचक्री १ राजगृहि नगरी २ समुद्रविजयराजा पिता ३ विप्रामाता ४ त्रणहजार वर्षनुं आयुष्य ५ बार धनुष्यनुं देहमान ६ त्रणसो वर्ष कुंअर० ७ त्रणसो वर्ष मंडलिक० ८ एकसो वर्ष देशसाधना ९ एकहजार नवसो वर्ष राज्य १० लक्ष्मणा स्त्रीरत्न ११ चारसो वर्ष दीक्षा १२ मुक्ते गया १३ नमीनाथना तीथेनां थया १४ बारमा ब्रह्मदत चक्री १ कंपीलपुरनगर ब्रह्मराजा पिता ३ चूलणी माता ४ सातसो वर्षनुं आयुष्य ५ सातघनुष्यनुं देहमान ६ अट्यावीश वर्ष कुंअर०७ छपन वर्ष मंडलिक० ८ सोल वर्ष देश साधना ९ छसो वर्ष राज्य १० कुर्मती स्त्रीरत्न ११ दीक्षा न लीधी १२ | सातमी नरके गया १३ नेमीनाथ ने पार्श्वनाथना आंतरामां थया. १४ ॥ इनी चक्रवर्ति चतुर्दश द्वारवर्णनं समाप्तं ।।। अथ वासुदेव बलदेवना २२ द्वारोनुं वर्णन - पेला त्रिष्ष्ट वासुदेव १ अचल बलदेव २ वासु०सातमा देव लोकधी चवीने उपना ३ बल० अनुत्तर विमानथी चवीने उपना ४ पोतनपुर नगर ५ प्रजापतिराजापिता ६ वासु० नी माता मृगावती ७ बल०नी माता भद्रा ९ वासु०नं आयुष्य ८४ लाख वर्षनुं ९ बल०नं आयुष्य ८५ लाख वर्षनुं १० ऐसी धनुष्यनुं देहमान ११ गौतमगोत्र १२ वासु० नीलेवण १३ बल० श्वेतवर्णे १४ संभूति नामना पूर्वभवना धर्माचार्य १५ पचीश हजार वर्ष कुंअर० १६ पचीश हजार वर्ष मंडलीक० १७ एकहजार वर्ष देशसाधना १८
२ आधमांचार्य [पूर्वभवना] वासुदेवना जाणवा पूर्वभवे चारित्रपालीनीयाणु करनार वासुदेव थाय के बलदेव अनियाण कृत होय के जेथी वासुदेव नरके जाय के ने बलदेवनी सद्गती धाय छे कुमारादिकाल वासुदेवनी अपेक्षाए जानबुं बलेनो प्रेम अत्यंत होय के बलदेव मोटा होय. छे.
चतुर्दशद्वार वर्णन
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