Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 221
________________ सिद्धांत रहस्य ॥२९३॥ दहिं वगेरे बाह्य द्रव्यों, ज्ञानावरणीय-दर्शनावरणीय कर्मोदयना हेतुभूत ( निमित्त कारण ) धाय छे अने ब्राह्मी वज आदिक द्रव्यो, ज्ञाना वरणीयादि कर्मना क्षयोपशमना हेतुभूत पण थाय छे. ज्यारे आ बाह्य | द्रव्योमां आ प्रमाणे देखाय हे, त्यारे योगांतर्गत लेइया द्रव्योमां पण सामर्थ्य होय ए योग्यज छे. अर्थात | लेश्या द्रव्यों, कषायना कारण छतां पण लेश्या कषायनी साथै तदात्मक थती नथी; कारण ? कषायना अभा वम पण लेश्या होय छे. कछु छे के " जोगपरिणामो लेस्सा. " माटे योगना उदयथी लेश्या छे अने तेरमा गुणठाणा सुधी ते होय छे. लेश्या छ प्रकारनी छे:-१ कृष्णलेश्या, २ नीललेश्या, ३ कापोतलेश्या, ४ तेजोलेश्या, . पद्मलेश्या, अने ६ शुक्ललेइया, कृष्णलेश्या मेघ अंजन अने खंजन वगेरेना रंग जेवी काळी छे. नील लेइया, पोपट ( शुक), चासपक्षी अने नील कमल वगेरेना रंग जेवी नीली छे. कापोतलेश्या खेरसार, करीरसार अने २ कषाय स्वरुप थवं ते. ३ लेश्या, योगजन्य कहेल छे ते पनवणा-वृत्तिकारना अभिप्राये छे. कर्मग्रंथनी वृत्तिमां त्रण मतो बताया छे:-केटलाक आचार्यों, कर्म परिणामने लेश्या माने छे एटले आठ कर्मना उदयधी माने छे अन्य आचार्यों कषायना उदयधी लेश्या माने छे. वळी बीजा आचार्यों योगना उदयधी माने छे. आ व्रण मतमां 'योगजन्य लेश्या ए मत विशेष माननीय के बीजा ने मत पण सापेक्षताप घटी शके छे. सारांश एछे के:-जे द्रव्य लेश्या ते योगजन्य के अने भाव लेश्यानुं कारण छे: भाव लेश्या कषाय जन्य छे. पण ते द्रव्य लेश्यानी अपेक्षा राखे छे. भाव लेश्या, द्रव्य लेश्या सिवाय होती नथी; परंतु भाव लेश्या सिवाय द्रव्य लेश्या होय छे. कारण ? कपायना नाश पछी पण द्रश्य लेश्या होय छे. लेश्या विचार ॥२१३॥

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