Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 214
________________ सिद्धांतरहस्य ॥ २०६॥ पिता ६ वासु०नी देवकीमाता ७ बल०नी रोहिणीमाता ८ वासु०नुं आयुष्य एकहजार व० ९ बल०नं आयुष्य बारसो व०नं १० धनु० दशनुं देहमान ११ गौतमगोत्र १२ वा०नी व० १३ ब० श्वे० ० १४ पूर्व० धर्माचार्य दुरंतसेन १५ सोलव० कुंवर १६ छपन व० मंडलिक० १७ नवसो अठ्यावीश व० राज्य १८ वासु० त्रीजी नरकें १९ बल० पांच मे देव० गया २० नेमनाथना समयमां थया २१ ॥ हवे नव प्रतिवासुदेवना नाम कहे छेः-१ अश्वग्रीव २ तारक ३ मेरक ४ मधु ५ निशुंभ ६ बली ७ प्रह्लाद ८ रावण ९ जरासिंधु० प्रति० प्रथम त्रण खंडना भोक्ता होय पछी वासु० तेने तेनाज चक्रवडे मारी वासु० त्रण खंडना भोक्ता धाय छे. वासुदेवना सात रत्नना नाम तथा आकार अने प्रमाण कहे छे:- १ चक्ररत्न वृत्ताकारे चार हाथ प्रमाण २ धनु० र० चक्राकारे चार हाथ प्रमाण ३ खड्गरत्न वृत्ताकारें बनीश अंगुल प्रमाण ४ कौस्तुभरत्न स्तंबलंबाकारे वाम प्रमाण ५ गदा रत्न वत्साकारें हस्त प्रमाण ६ वनमालारत्नलंबाकारें बत्रीश अंगुल प्रमाण ७ शेखरत्न चतुष्कोण चार अंगुल प्रमाणे होय है. वासु०ना वस्त्र पीला बल०ना वस्त्र लीला वासु०नी ध्वजाए ताडनो चिन्ह वलनी ध्वजाए गरुडनो चिन्ह वासुदेवने आयुध पांच १ पंचायन शंख २ सुदर्शनचक्र ३ कौमुदी गदा ४ सारंग धनु० ५ नंदन खर्गे बल० ने आयुध बे, हल अने मूशल इती वासु० बल० वर्णनं समाप्त सौरीपुरमां थयुं छे कारण जादवो मूल सौरीपुरना छे. २ आठमा तथा नवमा वासुदेवनी देश साधनानो काल थोडो हे ते राज्यकालमा अंतर्गत जाणवो जुदो बताबेल नथी. २२ द्वारनं वर्णन ॥२०६ ॥

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