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ल कहे छे, हे आयुष्मन् सुशिष्य ! सांभळ. निश्चय नयथी षद्रव्यो, पोतपोतानामां परिणमी रह्या छे. गुण-पर्या-18| सिद्धांत
यायनी परिणति रुपे छए द्रध्य परिणामी हे अने व्यवहारनयथी. जीव द्रव्य ने पुद्गल द्रव्य ए बन्ने विभाव परि. षद्रव्य रहस्य
| णामी छे अने शेष ४ द्रव्य (धर्मास्तिकायादि), विभाव भावनी अपेक्षाए अपरिणामी छे. छ द्रव्यमां एक जीव विचार ॥१४७॥ || द्रव्य ते जीव छे अने पांच द्रव्यो अजीव छे. छ द्रव्यमा एक पुद्गल द्रव्य, मूर्त (रूपी) छे अने पांच द्रव्यो
॥१४७॥ | अमूर्त छ. छ द्रव्यमां धर्मास्तिकायादि पांच द्रव्यो सप्रदेशी छे अने एक काल द्रव्य अप्रदेशी छे; कारण ? एक | सामायिक काल छे. हवे धर्मास्तिकाय ने अर्धास्तिकाय द्रव्य, असंख्यात प्रदेशी छे. आकाशास्तिकाय द्रव्य, (लोकालोक प्रमाण ) अनंत प्रदेशी छे. एक जीव द्रव्य असंख्यात प्रदेशी छे, तेवा अनंत जीवो छे. पुद्गल द्रव्य, एक परमाणुथी मांडी द्वि प्रदेशी त्रि प्रदेशी यावत् अनंत प्रदेशी छे. छ द्रव्यमां धर्मास्तिकायादि ३ द्रव्यो, एकेक द्रव्य छे अने जीव, पुद्गल अने काल, ए ३ द्रव्यो अनेक छे. कारण? जीवो, पुद्गलो अने समयो अनंत छे माटे. छ द्रव्योमा एक आकाश द्रव्य, क्षेत्र (आधारभूत ) छे अने शेष पांच द्रव्यो, क्षेत्री (आधेय) छे. छ |ए द्रव्यो निश्चयनयथी सक्रिय छे. धर्मास्तिकाय द्र०, चलन-सहायरुप क्रिया करे छे, अधर्मास्ति०द्र०, स्थिर
१ कालद्रव्य, वर्तमान कालीन एक समय छे, भूतकाल विनश्वर के अने अनागतकाल अनुत्पन्न के. एटले कालने प्रदेशो [समयो]नो सबंध | नथी. भूतकालना अनंत समयोने कालद्रव्य तरीके उत्तराध्ययनसूत्रमा :विवक्षा कही हे. प्रदेशो समयो सबंध न होवाथी कालद्रव्य औपचारिक छे. २ आधार क्षेत्रमा रहेनार ते आधेय कहेवाय.
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