Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 183
________________ सिद्धांत रहस्य ॥१७५॥ सुधी धूम्र वर्षे तेटलो समय अस०, ९ महिका - झाकळ ज्यां सुधी वर्षे त्यांसुधी अस० १० रजोद्घात - वायु घणो गुंजे अने आकाशमां धूळी चडे दिशा धुंधली थाय ते ज्यांसुधी होय त्यांसुधी असझाय. हवे १० औदारिक शरीर संबंधी असझाय कहे छे:- १ अस्थि ( हाडका ) नी अस०, २ मांसनी अस०, ३ रुधिर (लोही ) नी अस०, ४ अशुचि - सामिप्य ( विष्टादि नजीकमां होय तो ) अस०, ५ स्मशान - सामिप्य ( मसाण नजीकमां होय तो ) अस०, ६ चंद्र ग्रहण (जे रात्रिए थाय ते रात्रि )नी अस० ७ सूर्यग्रहणमां अहो रात्रिनी अस०, ८ पतन ( ते राजा, मोटो अधिकारी अमात्यादिक ) नी अहोरात्री अस० ९ राज - विग्रह ( नगरनी समीपमां ज्यां सुधी युद्ध चाले त्यांसुधी ) नी अस०, १० उपाश्रयमां औदारिक पंचेंद्रियनुं कलेवर ज्यांसुधी पडेलं | होय त्यांसुधी असझाय ते सो हाथनी अंदर होय तो. ए २० असझाय. १ आषाढ सुदि पूर्णिमानी असझाय, २ आषाढ वदि १ नी अस०, ३ आसुँ सुदि पुनमनी अस०, ४ आसु वदि १ नी अस०, ५ कार्तिक सुदि पूर्णि २ ठाणांनी टीकामां-" शोणितं मांसं चर्मास्थि, भवत्यपि चत्वारी, " रुधिर, मांस, चामडुं अने हाडकुं. ए चारनी असझाय क्षेत्रथी ६० हाथनी अंदर होय. कालथी यथा संभवकाल, एतियंच सबंधि कहेल छे. मनुष्य संबंधी एटलुं विशेष छे के १०० हाथ क्षेत्रथी कालथी अहोरात्र काल, आर्तव [ ऋतु ] माटे ३ दिवस, छोकरीना जन्ममां ८ अने छोकराना जन्ममां ७ दिवस कहेल छे. ३ चंद्र-सूर्यग्रहणने अंतरिक्षमां न गणतां औदारिक-असशायमां गुणवानुं कारण तेनां विमानो पृथ्वीकाय होवाथी औदारिक अस० मां गणेड़ छे. ४ ठाणांगसूत्रमां 'इंदमहे ' पाठ के तेनो अर्थ, टीकामां ' आसु' मास करेल छे. प्रवचन सारोद्धारमां पण एमज कहेल छे. केटलाक 'भादरयो' कहे छे, सूत्रमां पुनमनो नाम जणातो नधी बत्रीस असझाय विचार ॥ १७५॥

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