Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah
View full book text
________________
भवसूरिकृत छे, नियुक्तिना ४५०, चीना ७०००, दीपिका (लघुवृत्ति )ना २६००, तिलकाचार्यकृन टीकाना || सिद्धांत सिद्धांत
७०००, मलयगिरिकृत वृत्तिना ७७००, हरिभद्रसूरिकृतटीकाना ६८१० श्लोक छ. ३ उत्तराध्ययनसूत्र, अध्य०३६ मानविचार रहस्य
समू० श्लो० २०००, वादिवैताल शांतिसूरिकृत बृहदृत्तिना १८०००, नियुक्तिना ७००, चूर्णांना ६००० श्लोक छे; ४ ॥१७॥ ॥१७॥
| लक्ष्मीवल्लभकृत टीका वगेरे अनेक टीकाओ छे. ४ पिंडनियुक्ति, मूल-भद्रबाहुस्वामीकृत छे. इलो. ७००, मल| यगिरिकृत टीकाना ७०००, धीराचार्यकृत टीकाना ७९००, लघुवृत्सिना ४००० श्लोक छे. ओघनियुक्ति-कर्ता भद्रबाहुस्वामि. श्लो० १४००, भाष्यना ३००० चूर्णीना ७००० अने द्रोणाचार्यकृत टीकाना ७००० श्लोक छे. बेचूलिकासूत्र छः-१ नंदीसूत्र, श्री देववाचककृत छे, मू० श्लो० ७००, चूना २०००, हरिभद्रसूरिकृत लघुवृतिना २३१२, मलयगिरिकृत बृहबृत्तिना ७७३५. श्री चन्द्रसूरिकृत हिपण ३००० श्लोक छे. २ अनुयोगद्वार, मू० श्लो. १८९९, चूर्णीना ३००५, हरिभद्रसूरिकृत लघुवृत्तिना ३५००, मल्लधारी श्री हेमचंद्राचार्यकृत बृहद्वृत्तिना ६००० श्लोक छे. १० पयन्ना कहे छ:-१ चउशरणपइन्नो-मू० गाथा ६३, २ आउरपञ्चक्वाणपइन्नो-मू० गा० ८४, &३ भत्तपच्चक्खाणपइन्नो मू० गा० १७२, ४ संथारगपइन्नो, म्० गा० १२२, ५ तंदुलवेयालियपइन्नो, म्० गा० ४००,
चंद्रावेधक, मू० गा० ३१०, ७ देवेंद्रस्तव, मू० गा० २००, ८ गणिविझापइन्नो, मू० गा० १००, ९ महापच्चक्खा| णपइन्नो, मू० गा०१३४,१०-मरणसमाधिपइन्नो, मू० गा०७२०छे.१नी अवचूरीना इलो० २२५ अनेरनी वृत्तिना९०० श्लोक छे. ए ४५ आगमनी गणनाप्रमाणे १० पइन्ना कहेल छे. बीजा पण पइन्नाओ छ- वीरस्तव पइन्नो,

Page Navigation
1 ... 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248