________________
N
JHI
सिद्धांतरहस्य ॥१२०॥
४ अंतरआंतरा
कहे छे ॥१२॥
+ M
| पाम्या, पछी ५० लाख कोडी सागरोपमने अंतरे बीजा अजीतनाथ भगवान् अयोध्यानगरीने विषे पया. जीतशत्रु राजा अने विजयादेवीमाताना पुत्र. हेमवर्ण अमे हस्तिनुं लंछन छे. साडाचारसे धनुष्यनुं देहमान अने ७२ लाख पूर्वचं आयुष्य. भोगव्यु. तेमां १८ लाख पूर्व कुंवरपणे रहीने १३ लाख पूर्व राज्य पाल्युं अने १ लाख पूर्वनी प्रव्रज्या पाली. प्रव्रज्या लीधा पछी १२ वर्षे केवलज्ञान उपमुं. साधु द्वादशांगी. (पूर्ववत्) महीमंडलमा विच| रतां छेवटे १ हजार साधु संघाते सम्मेतशिखर पर्वत उपरे प्रभुनिर्वाण पाम्यां. अजीतनाथ तीर्थकर मोक्ष | गया पछी ३० लाख कोडी सागरने अंतरे, साबत्थीनगरीने विषेत्रीजा संभवनाथ तीर्थकर धया, जीतारिपिता अने सेनादेवीमाताना पुत्र, हेमवर्ण अने अश्वनुं लंछन छे. चारसे धनुष्य देहमान अने ६० लाख पूर्वनु आयुप्य भोगव्यु. तेमा १५ लाख पूर्व कुंवरपणे रहीने ४४ लाख पूर्व राज्य पाल्युं अने १ लाखपूर्व प्रव्रज्या पाली. प्रव्रज्या लीधा पछी १४ वर्षे केवलज्ञान उपर्नु साधु० द्वादशांगी (पूर्ववत् ) १ हजार साधु संघाते प्रभु सम्मेतशिखर उपरे निर्वाण पाम्या. त्रीजा संभवनाथ तीर्थकर मोक्ष गया पछी १० लाख कोडी सागरने अंतरे
S
.
१ थया' ते जम्म्या एम संभवतु नथी, जो एम मानीए तो ऋषभदेव अने महावीरस्वामीन अंतरर्नु मेळ धतुं नधी; माटे 'थया' एटले सिद्ध थया. एम प्रवचनसारोदार अने कल्पसूत्रमा कहेलुं छे. 'समुपन्ने' शब्दनो अर्थ सिद्ध थया एम कहेल छे. २ ५३ लाख ने । पूर्वांग अधिक | | राज्य पालबार्नु आवश्यक मूल भाप्यमा कहेलु हे. तेमज ब्रीजा, चोथा, पांचमा, छठा, सातमा, आठमा ने नवमा तीर्थकरोए ४-८-१२-१६-२०२४ ने २८ पूर्वांग, अधिक राज्य पाल्यु छे. 'पूर्वाग' ते ८५ लाख वर्ष प्रमाण जाणवू,
4-059