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सिद्धांतरहस्य
॥३०॥
अंगु० संख्या० ने उ० पोणाआठ धनुष्यनी ने छ अंगुलनी अने उत्तर वै० करे तो ज० अंगु० संख्या० ने उ० साडापन्नर धनुष्य ने बार अंगुलनी. बीजी नरके भव० अव० ज० अंगु० असंख्या, ने उ० साडापन्नर धनुष्य ने बार अंगुलनी, उत्तर वै० करे तो ज० अंगु० संख्या० ने उ० सवाएकत्रीश धनुष्यनी. त्रीजी नरके भव० अव० ज० अंगु० असं० ने उ० सवाएकत्रीश धनुष्यनी अने उत्तर वै० करे तो ज० अंगु० संखा० ने उ० साडाबासठ धनुष्यनी. चोथी नरके भव० ज० अंगु० असं० ने उ० साडाबासठ धनुष्यनी अने उत्तर वै० करे तो ज० अंगु० संखा० ने उ० सवासो धनुष्यनी. पांचमी नरके भव० ज० अंगु० असं० ने उ० सवासो धनुप्यनी अने उत्तर वै० करे तो ज० अंगु० संखा० नें उ० अढीसो धनुष्यनी. छठ्ठी नरके भव० ज० अंगु० अंसं० ने उ० अढीसो धनुष्यनी. अने उत्तर वै० करें तो ज० अंगु० संख्या ने उ० पांचसो धनुष्यनी. सातमी नरके भव० ज० अंगु० असं० ने उ० पांचसो धनुष्यनी अने उत्तर वै० करे तो ज० अंगु० संखा० ने उ० एक हजार धनुष्यनी, २ नारक ने संघयण नथी. ३ संठाण एक हुंड. ४ कषाय चार, पण नारक ने क्रोध घणो. ५ संज्ञा चार, पण नारकने भय संज्ञा घणी. ६ नारकमां समुच्चयथी पहेली त्रण लेश्या. पहेली ने बीजी नरकमां एक कापोत लेश्या, त्रीजी नरके वे लेश्या, कापोत घणी ने नील थोडी. चोथी नरके एक नील लेश्या, पांचमी नरके वे लेश्या, नीलले घणी ने कृष्णले० थोडी. छठ्ठी नरके एक कृष्णलेसा. सातमी नरके महाकृष्णलेश्या. ७ इंद्रिय पांच. ८ समुद्घात चार. वेदनीय, कषाय, मारणांतिक अने वैक्रिय समुद्घात. ९ पहेली नरके संज्ञी - असंज्ञी बे होय,
दंडक ॥३०॥