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वासठबोलविचार ॥७॥
ने पर्याप्ता, गु०१२पहेल ने बीजं नहिं, योग १५, उप० ९ अज्ञान ३ नाहिं, ले०६॥ मति श्रुतज्ञानीमा जीव. सिद्धांत
६ पूर्ववत् , गु०१०,ते पहेलं-त्रीजु-तेरभु ने चौदमुं नहिं, योग १५, उप०७ ते ४ ज्ञान ने ३ दर्शन, ले०६॥ रहस्य
अवधिज्ञानीमां जीव.२ संज्ञीना, गु० १० योग १५, उप० ७, ले०६॥ मनःपर्यायज्ञानीमां जीव० १ संज्ञी॥७॥
| पं०नो पर्याप्त, गु०७ छठाथी बारमा सुधी, योग १४ कार्मण नहिं. उप० ७, ले० ६॥ केवलज्ञानीमां जीव० १ संज्ञीपं नो पर्याप्त, गु० २ उपरला, योग ७, उप० २, ले०१ परमशुक्ल ॥ अज्ञानीमां जीव० १४, गु० २ पहेलं ने त्रीजु, योग १३ आहारकना बे नहिं, उप० छ ३ अज्ञाने ३ दर्शन, ले०६॥मति-श्रुतअज्ञानीमां जीव० १४
गु० २ पूर्ववत् , योग १३, उप०६, ले०६॥ विभंगज्ञानीमां जीव० २ संज्ञीना, गु० २, योग १३, उप० ६, ले० द६. एओनुं अल्पबहुत्व-१ सर्वथी थोडा मनःपर्यायज्ञानी, २ तेथी अवधिज्ञानी असंख्यातगुणा, ३ तेथी मति
श्रतज्ञानी विशेषाधिकने मांहोंमांहे तुल्य०४ तेथी विभं असंख्या०,५ तेथी केवल. अनंतगुणा, ६ तेथी समुचयज्ञानी विशेषा०, ७ तेथी मति-श्रुतअज्ञानी. अनंतगु० ने माहोमांहे तुल्य, ८ तेथी अज्ञानी विषाधिक ॥ ११ दर्शनद्वार-चक्षुदर्शनीमा जीव० ६ ते चरिंद्रिय, असंज्ञीपं० ने संज्ञीपं०ना अपने पर्याप्त, गु० १२ उपरना बे नहिं, योग १४ कार्मण. नहिं, उप०१० के० ज्ञा० ने के. द. नहिं, ले०६॥ अचक्षुदर्शनीमां जीव० १४, गु० १२, योग १५, उप० १०, ले०६॥ अवधि दनां जीव०२ संज्ञीना बे, गु० १२ योग १५, उप० १०, ले०
१ चउरिद्रियादि प्रणना अपर्याप्तानी गवेषणा न करवाथी प्रण भेद पण कहेल छे.
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