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ते पर्याप्त ९९ जातिना देवमांथी नव लोकांतिक, उपरना चार देवलोक, नवग्रैवेयक अने पांच अनुत्तरविमान सिद्धांत- ए७ भेद छोडीने शेष ७२ जातिना देव अने पूर्वोक्त १७९ मेळवतां २५१ तेमज सात नरकना पर्याप्ता एवं रहस्य
गतिआगति २०.८. हवे गति पांचेंनी जूदी जदी कहे डे:-जलचरनी गति ५२९ भेदनी ते जीवना ५६३ भेदमांथी उपरना ॥४९॥
॥४९॥ चार देवलोक, नव ग्रैधेयक अने पांच अनुत्तर विमान ए १८ना अपने पर्याप्ता ए ३६ भेद छोडीने शेष ५२७नी. | उरःपरिसर्पनी गति ५२३ भेदनी ते ५२७मांथी छठ्ठी ने सातमी नरकना अप० ने पर्याप्तानी चार वर्जवी. स्थलचरनी गति ५२१ भदनी ते ५२३मांधी पांचमी नरकना अप० ने पर्याप्तानी वर्जवी. खेचरनी गति ५१९ भेदनी ते ५२१माथी चोथी नरकना अप० ने पर्याप्तानी वर्जवी. भुजपरिमर्पमा ५१७ भेदनी ते ५.९मांथी त्रीजी नर
कना अप० ने पर्याप्तानी वर्जवी. सम्छिरु मनुष्यमा आगति १७१ भेदनी ते पूर्वोक्त १७९मांधी सूक्ष्म-बादर र होतेउ ने बायुकारना अपने पीता ए आठनी वर्जवी. गति १७९ भेदनी. संज्ञीमनुष्यमा आगति २७६ भेदनी
ते पूर्वोक्त १७१ भेद, ९९ जातिमा देवना पर्याप्ता अने नरकना पर्याप्ताए २७६. गति ५६३ भेदनी. त्रीश हा अकर्मभू० मनुष्यमा आगति बीश भेदनी, ते १५ कर्मभू मनुष्य अने ५ मंज्ञी तिर्यचना पर्याप्तानी. गति दी:
जूदी कहे छ:- देवकुरु, ५ उत्तरकुरु, ५ हरिवर्ष अने५ रम्यक वर्ष ए वीशनी गतिभेदनी ते १० भवन| पति, १६ व्यंतर, १० जुंभका, १० ज्योतिष्क अने १-२ देवलोक ए ४८ जातिना देवना अप० ने पर्याप्तानी. ५ हैमवत ने ५ हैरण्यवतनी गति ९४ भेदनी ते पूर्वोक्त ९६ भेदमांधी वीजा देवगा अपने पर्याप्तानी वर्जवी..
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