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सामायिक का उद्देश्य
सामायिक क्यों करनी चाहिये ? सामायिक का उद्देश्य
" क्या है ? इसके लिये कहा गया है किसमभावो सामाइयं, तण कंचण सत्तुमित्त विउ सउत्ति ॥ णिरभिसंगं चित्तं, उचिय पवित्ति पहाणाणं ॥ १ ॥
इस गाथा में कहा है कि सामायिक का उद्देश्य है-समभाव की प्राप्ति अर्थात् तृण और कंचन, शत्रु और मित्र पर राग-द्वेष रहित बनकर समभाव का प्राप्त करना यही सामायिक करने का उद्देश्य है किन्तु इस तरह का समभाव पूर्णतया तो तभी प्राप्त होता है, जब रागद्वेष का सर्वथा नाश हो जावे और रागद्वेष का पूर्णतया नाश तब प्राप्त होता है, जब वीतराग दशा प्रकट हो। जब तक रागद्वेष सर्वथा नष्ट नहीं हो जाता, तब तक वीतराग दशाप्रकट नहीं हो सकती
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