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सामायिक कैसी हो
ससुर कहाँ हैं ? श्रावक की पुत्र वधू ने उत्तर दिया कि ससुरजी इस समय बाजार में पंसारी के यहाँ सोंठ लेने गये हैं। वह आदमी श्रावक की पुत्रवधू का उत्तर सुनकर, बाजार में जा श्रावक की खोज करने लगा, परन्तु उसे श्रावक का पता न मिला । वह फिर श्रावक के घर आया और उसने श्रावक की पुत्र-वधू से कहा, कि सेठजी बाजार में तो नहीं मिले, वे कहाँ गये हैं ? श्रावक को पुत्र-वधू ने उत्तर दिया कि अब वे मोची बाजार में जूता पहनने गये हैं। वह आदमी फिर श्रावक की खोज में गया, परन्तु श्रावक वहाँ भी नहीं मिला, इसलिए लौटकर उसने फिर श्रावक की पुत्रवधू से कहा कि वे तो मोची बाजार में भी नहीं मिले! मुझे उनसे एक आवश्यक कार्य है इसलिए ठीक बता दो कि वे कहाँ गये हैं । पुत्रवधू ने उत्तर दिया कि अब वे सामायिक में हैं।
सामायिक समाप्त हुई ।
वह आदमी बैठ गया । श्रावक की सामायिक पालकर उसने उस आदमी से बातचीत की और फिर अपनी पुत्र वधू से कहने लगा, कि तुम जानती थी कि मैं सामायिक
में बैठा हुआ था, फिर भी तुमने उस आदमी को सच्ची बात न बताकर व्यर्थ के चक्कर क्यों दिये ! ससुर के इस कथन के उत्तर में बहू ने नम्रतापूर्वक कहा कि मैंने जैसा देखा, उस आदमी से वैसा ही कहा । आप शरीर से तो सामायिक में बैठे थे, लेकिन
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आपका चित्त पंसारी और मोची के यहाँ गया था या नहीं ?
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