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श्रावक के चार शिक्षा व्रत
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पूरी तरह अपनाया जावे। जो इस तरह नहीं किया जाता है, किन्तु सामान्य रूप में किया जाता है, उसकी गणना दशवें व्रत के पौषध यानी देशावकाशिक व्रत में है । इसके अनुसार तप करके पानी का उपयोग करने अथवा शरीर में लगाने, मलने रूप तेल का उपयोग करने पर भी उपवास में दशवें व्रत का ही पौषध हो सकता है, ग्यारहवें व्रत का पौषध नहीं हो सकता ।
पर्य यह है कि इस प्रकार पौषध के अनेक भेद हैं। जिसमें चारों आहार का पूर्णतया त्याग और चारों प्रकार के पौषध का पालन किया जाता है, वही पौषध ग्यारहवें व्रत का पौषध है । शेष पौषध दशवें व्रत के पौषध में ही हैं। दशवें व्रत का पौषध तपपूर्वक भी किया जा सकता है और आहार करके भी । इसलिए यदि श्रावक चाहे और विवेक से काम ले तो वह प्रत्येक समय दशवाँ ब्रत निपजा सकता है ।
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