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भावक के चार शिक्षा व्रत
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मर्यादित भूमि से बाहर भेजा जावे तब तो अनाचार ही है । शेष तीन अतिचार, व्रत की अपेक्षा रखते हुए भी माया कपट से किये जाते हैं, परन्तु व्रत की अपेक्षा रखी जाती है, इसलिए अतिचार ही हैं, लेकिन प्रबल अतिचार हैं ।
इन अतिचारों को समझ कर व्रतधारी को इनसे बचते रहना चाहिए। इन अतिचारों से बचे रहने पर ही व्रत का पूरी तरह पालन होता है ।
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