Book Title: Shravak Ke Char Shiksha Vrat
Author(s): Balchand Shreeshrimal
Publisher: Sadhumargi Jain

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Page 155
________________ अतिथि-संविभाग व्रत के अतिचार --- - -- काात्रकारों ने इस बारहवें व्रत के पाँच अतिचार बताये हैं, जिनसे बचना व्रतधारी श्रावक का कर्तव्य है। अतिचारों से बचे रहने पर ही श्रावक का व्रत निर्दोष रह सकता है और अतिचारों का सेवन करने पर व्रत दूषित हो जाता है। इस व्रत के पाँच अतिचार इस प्रकार हैं: १ सचित निक्षेपण-जो पदार्थ अचित होने के कारण मुनि महात्माओं के लेने योग्य हैं, उन अचित पदार्थों में सचित पदार्थ मिला देना, अथवा अचित पदार्थों के समीप सचित पदार्थ डाल देना, सचित निक्षेपण नाम का पहला अतिचार है। २ सचित परिधान-अचित पदार्थ के ऊपर सचित पदार्थ ढॉक देना, सचित परिधान नाम का दूसरा अतिचार है । १९ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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