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देशावकाशिक व्रत के अतिचार
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स देशावकाशिक व्रत की रक्षा के लिये ज्ञानी महा पुरुषों
ने व्रत को दूषित करने वाले कामों की गणना अतिचार में करके, उन कामों यानि अतिचारों से बचते रहने के लिए सावधान किया है। देशावकाशिक व्रत के पाँच अतिचार हैं, जो इस प्रकार हैं-आनयन प्रयोग, प्रेष्यवण प्रयोग, शब्दानुपात, रूपानुपात, बाह्यपुद्गल प्रक्षेप। इन अतिचारों की व्याख्या नोचे की जाती है:
१ आनयन प्रयोग-दिशाओं का संकोच करने के पश्चात् आवश्यकता उत्पन्न होने पर मर्यादित भूमि से बाहर रहे हुए सचित्तादि पदार्थ किसी को भेज कर मॅगवाना अथवा किसी को
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