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सुधारने का भी अपूर्व लाभ है। जब अपने लड़कों को खूब आगे पढ़ा रहे हैं तब कन्याओं को कम से कम मेट्रिक पास करवाने में सामाजिक जीवन का गौरव तो बढ़ेगा ही, परन्तु परस्पर दाम्पत्य जीवन भी सुन्दरतम बनेगा, अतः बढ़ते हुए आज के भौतिकवाद में यदि अपनी गृहस्थाश्रमी शान्तिमय प्रसार करनी है तो अपनी कन्याओं को ऐसे विद्यालयों में रखकर उनके तन और मन को खूब
खूब विकसित होने दीजियेगा। यही एक श्रेष्ठ मार्ग है और माता पिता तथा समाज के हितचिन्तकों का परम फर्ज भी है।
जुग जुग का इतिहास साक्षी दे रहा है कि जब जब कन्याओं को ज्ञान दान देने का संकल्प किग गया है, तब तब पुरुषों में से कुछ न कुछ अवरोध आया ही है, परन्तु आज का जमाना दूसरी किस्म का है, पुरुष भी आज इस बात से सहमत हैं कि कन्याओं को व्यवहारिक, सामाजिक व धार्मिक शिक्षण दिये बिना हमारी गृहस्थाश्रमी का भला होना नितान्त अशक्य है।
शासन देवों से मेरी यही प्रार्थना है कि 'इस विद्यावाडी के पास ही जैन समाज का एक बालिका बोडिंग' स्वतन्त्र बन जाय जिसमे कन्याओं को जैन धर्म का शिक्षण, जैन आचार का परिपालन व सामाजिक ज्ञान भी दिया जाय।
परम दयालु परमात्मा ने जिन भाग्यशालियों को खूब धन दिया है उनसे भी मेरी यही प्रार्थना है, और वे सुनं, इसी में जैन समाज को फायदा है।
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