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जीवन का रहस्य
जीवन एक रहस्य है । जीवन के रहस्य को बिना समझे हम अपने जीवन की किसी भी साधना में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते । केवल सांस ले लेना ही जीवन नहीं है, सच्चा जीवन वही है, जो किसी उद्देश्य के लिए जीवित रहा जाता है । जीवन की परिभाषा करना बड़ा कठिन है । जीवन इतना विराट और इतना विशाल है, कि उसे शब्दों के बन्धन में बाँधा नहीं जा सकता । जीवन का रहस्य और जीवन की परिभाषा को जितना समझने का प्रयत्न किया गया है, उतना ही और वह अधिक गहन गहनतर होता गया । वास्तव में बात यह है, कि जीवन को किसी एक दृष्टिकोण से देखना, जीवन के प्रति एक बहुत बड़ा अन्याय है । देखने वालों ने जीवन को जितने दृष्टिकोण से देखा है, उतने ही रूपों में जीवन का स्वरूप प्रकट हुआ है । देखने वाले की जैसी दृष्टि रही, उसके जीवन का वैसा ही स्वरूप बन गया । जीवन के विषय में प्राचीन साहित्य में विविध मन्तव्य उपलब्ध होते हैं । किसी ने जीवन को प्रज्ञामय कहा है, किसी ने जीवन को प्राणमय कहा है, किसी ने जीवन को भौतिक कहा है और किसी ने जीवन को अध्यात्म कहा है । कुछ भी हो, उक्त कथन जीवन के एक-एक अंश को लेकर ही प्रवृत्त हुए हैं । जीवन के सर्वांगीण विचार को लेकर चलने वाला इनमें से एक भी विचार नहीं है । जीवन को एकान्त भौतिक समझना भूल है और जीवन को एकान्त अध्यात्म समझना, यह भी भूल है । जीवन में कुछ ऐसा भाग है, जो प्रतिक्षण बदलता रहता है, और जीवन में कुछ ऐसा भाग भी है, जो कभी बदलता नहीं, शाश्वत रहता है । मेरे कहने का अभिप्राय यह है, कि जीवन कुछ भौतिक भी है और जीवन कुछ आध्यात्मिक भी है । इस दृष्टि से मैं आपसे यह कह रहा था, कि जीवन-रहस्य को समझना सरल एवं आसान नहीं है । जीवन एक शक्ति है, जीवन एक आस्था है और जीवन एक अभिव्यक्ति है, उस अमर तत्त्व की, जिसे शास्त्रकार विविध नामों से सम्बोधित करते हैं । जीवन को समझना सबसे बड़ी कला है । इस कला को जिसने समझ लिया, वस्तुतः जीवन का रहस्य उसी ने प्राप्त किया है ।
मनुष्य का जीवन दो भागों में विभक्त होता है—अन्तरङ्ग और
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