________________
समाज और संस्कृति
कंगाल के घर पर बादशाह का आना हो जाए, पर वह सदा नहीं, कभी-कभी ही हो सकता है । एक कंगाल व्यक्ति, एक दरिद्र व्यक्ति, जो कल भी भूखा था, आज भी भूखा है और आने वाले कल के लिए भी जिसके पास खाने को दाना नहीं है, जिसके घर में भूख ने डेरा लगा दिया है और जिसके जीवन में अभाव ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है, इस प्रकार के व्यक्ति की टूटी-फूटी झोंपड़ी में कदाचित् राह भला बादशाह कोई आ निकले, तो यह उस दरिद्र का परम सौभाग्य होगा । कदाचित् बादशाह आ भी गया, परन्तु वह कंगाल व्यक्ति बादशाह के आगमन से कोई लाभ न उठा सका, तो उसके जीवन में एक पश्चात्ताप ही शेष रह जाता है । बादशाह का आना और उससे लाभान्वित न होना, यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात होती है । इसीलिए मैं कह रहा था, कि मनुष्य जीवन का प्राप्त करना भी उतना ही कठिन है, जितना कि किसी कंगाल के घर पर बादशाह का आना । मानव-जीवन दुर्लभ है, इसमें सन्देह नहीं है, किन्तु इससे भी अधिक दुर्लभ है, उसका सदुपयोग । मानव-जीवन का सदुपयोग यही है, कि जितना भी हो सके अध्यात्म-साधना करे, परोपकार करे, सेवा करे, और दान करे । ___ मैं आपसे मानव-जीवन की बात कह रहा था । जीवन क्या है ? यह एक बड़ा ही गम्भीर प्रश्न है । जीवन की व्याख्या एक वाक्य में भी की जा सकती है और जीवन की व्याख्या हजार पृष्ठों में न आ सके, इतनी विशाल भी है । वस्तुतः जीवन एक उन्मुक्त सरिता के समान है, उसे शब्दों में बाँधना उचित न होगा । जीवन क्या है ? जीवन एक दर्शन है । जीवन क्या है ? जीवन एक कला है । जीवन क्या है ? जीवन एक सिद्धि है । इस प्रकार जीवन की व्याख्या हजारों रूपों में की जा सकती है । सबसे बड़ा प्रश्न यह है, कि जिस जीवन की उपलब्धि हमें हो चुकी है, उसके उपयोग और प्रयोग की बात ही अब हमारे सामने शेष रह जाती है । शास्त्रकारों ने बताया है, कि मानव-तन पाना ही पर्याप्त नहीं है । यदि मानव-तन में मानवता का अधिवास नहीं है, तो कुछ भी नहीं है । बहुत से मनुष्य दयाशील होते हैं, और बहुत से मनुष्य क्रूर होते हैं । कुछ मनुष्य साधन-सम्पन्न होते हैं और कुछ मनुष्य साधन-विपन्न होते हैं । कुछ मनुष्य विद्वान होते हैं और कुछ मनुष्य मूर्ख होते हैं । कुछ मनुष्य शक्तिशाली होते हैं और कुछ मनुष्य शक्तिहीन होते हैं । कुछ मनुष्य उदार होते हैं और कुछ मनुष्य कृपण होते हैं ।
-
६२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org