Book Title: Samaj aur Sanskruti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 258
________________ संस्कृति की सीमा वह संस्कृति के लिए सभ्यता और परम्परा शब्द का प्रयोग भी करता है । इसके विपरीत प्रसिद्ध इतिहासकार टायनबी संस्कृति शब्द का प्रयोग करना पसन्द नहीं करता । उसने सभ्यता शब्द का प्रयोग ही पसन्द किया है । एक दूसरे विद्वान का कथन है कि-"सभ्यता किसी संस्कृति की चरम अवस्था होती है । हर संस्कृति की अपनी सभ्यता होती है । सभ्यता संस्कृति की अनिवार्य परिणति है । यदि संस्कृति विस्तार है, तो सभ्यता कठोर स्थिरता ।" संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण एवं तथ्य मूलक अनुसंधान Anthropology मानव-विज्ञान शास्त्र में हुआ है । संस्कृति की सबसे पुरानी और व्यापक परिभाषा टायलर की है, जो उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक चरण में दी गई थी । टायलर की संस्कृति की परिभाषा इस प्रकार है-“संस्कृति अथवा सभ्यता एक वह जटिल तत्व है, जिसमें ज्ञान, नीति, न्याय, विधान, परम्परा और दूसरी उन योग्यताओं और आदतों का समावेश है, जिन्हें मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते प्राप्त करता है ।" मेरे विचार में, सभ्यता और संस्कृति एक ही सिके के दो पहलू हैं.–एक भीतर का और दूसरा बाहर का । संस्कृति और सभ्यता बहुत कुछ उसी भावना को अभिव्यक्त करते हैं, जिसे विचार और आचार कहते है । २४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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