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समाज और संस्कृति
के पृष्ठों पर जो भी चमकीले जीवन आपको नजर आते हैं, उनके जीवन की चमक और दमक का एक ही कारण है, अपनी बिखरी हुई शक्ति का एकीकरण और उसका किसी एक ही मार्ग पर नियोजीकरण । मेरे अपने विचार में ध्येय-निष्ठा ही अमरत्व का पथ है । जिन लोगों को अपने ध्येय में निष्ठा होती है, वे कभी असफलता का मुख नहीं देखते । अपने मन, अपनी वाणी और अपने शरीर की शक्ति का किसी एक कार्य में लगाना ही, ध्येय-निष्ठा है । हमारा जीवन क्या है ? आप जीवन को क्या समझते हैं और किस रूप में मानते हैं ? आपके मन की बात मैं नहीं कह सकता । अपने मन की बात को कहने का मुझे अधिकार है । मेरे विचार में हम जो कुछ कर्म करते हैं, वस्तुतः वही हमारा जीवन होता है । आज जो कुछ हम कर रहे हैं, भविष्य में वही हमारा भाग्य बन जाएगा । आज का श्रम कल का भाग्य होता है । हमारा भाग्य वही है, जो हमने किया था और जो कुछ आज कर रहे हैं, वही हमारा भाग्य बनने वाला है । इस दृष्टि से हम स्वयं ही अपने भाग्य के निर्माता हैं । कार्य करना और उसे समझदारी के साथ करना, यह हमारे अपने हाथ में होना चाहिए, तभी हम अपनी शक्ति को और अपने बल को तथा अपने पराक्रम को हम किसी एक लक्ष्य पर लगा सकेंगे । ध्येय-निष्ठ लोग किसी कार्य को करके तब तक सन्तोष का अनुभव नहीं करते, जब तक उसमें उन्हें सफलता नहीं मिल जाती है । विश्वास कीजिए, अपनी शक्ति पर, अपनी आत्मा पर । फिर उसे आप जिस किसी भी पथ पर लगाना चाहेंगे, आसानी से लगा सकेंगे । आश्चर्य है, मनुष्य अपने धन पर विश्वास कर लेता है, अपने भौतिक साधनों पर विश्वास कर लेता है, परन्तु उसे अपने मन और अपनी आत्मा पर विश्वास नहीं होता । फूल में खिलने की शक्ति चाहिए, भ्रमर अपने आप ही आ जायेंगे, उन्हें निमन्त्रण देने की आवश्यकता नहीं है । फूल महकता हो और भ्रमर न
आएँ, यह कभी सम्भव ही नहीं है । आप में खिलने की शक्ति चाहिए, विकसित होने की शक्ति चाहिए, फिर संसार में आपको चाहने वालों की कमी नहीं रह सकती । यदि आप में खिलने की और महकने की ताकत नहीं है, तो आपके जीवन के पृष्ठ को चमकदार जीवनगाथा से कौन लिख सकता है ? कोई नहीं । ___ अभी एक प्रवक्ता आपके सामने दान की बात कर रहे थे । दान एक सत्कर्म है, एक शुभ कर्म है । इसमें किसी प्रकार का भी संशय नहीं
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