________________
शक्ति ही जीवन है
और कल्याण - पथ पर प्रयोग करने की । यह तभी हो सकता है, जब मनुष्य अपना ध्येय स्थिर कर ले, अपना लक्ष्य स्थिर कर ले । जो जल इधर-उधर बिखर जाता है, वह नदी नहीं बन सकता । नदी बनने के लिए किसी एक ही दिशा में प्रवाह और गति की आवश्यकता है । ध्येय-हीन और लक्ष्यहीन व्यक्ति के जीवन में कभी भी प्रवाह और गति नहीं आ सकती । इस संसार में जो भी महापुरुष बना है, वह अपनी ध्येय-निष्ठा के कारण ही बना है । ध्येय निष्ठा और लक्ष्य की स्थिरता, प्राणहीन व्यक्ति में भी प्राण-शक्ति फूँक देती है । आप क्या बनना चाहते हैं ? इसका निर्णय आपके अतिरिक्त दूसरा नहीं रह सकता । अपने भविष्य का चित्र आपको स्वयं ही तैयार करना है । आपके भविष्य की रूपरेखा दूसरा नहीं बना सकता; क्योंकि अपनी शक्ति और अपनी योग्यता से जितने अधिक निकट परिचय में आप रहते हैं, दूसरा नहीं रह सकता । अपने मन की शक्ति को, अपनी बुद्धि की शक्ति को और अपनी योग्यता की ताकत को जितना आप जान सकते हैं और पहचान सकते हैं, उतना अन्य दूसरा नहीं । आप स्वयं विचार कीजिए, कि आप क्या बनना चाहते हैं ? कवि, लेखक, प्रवक्ता, चित्रकार, संगीतकार, योद्धा, योगी, तपस्वी और दानवीर अथवा विश्वविजेता नेता । जो कुछ आप होना चाहते हैं, उसका निर्णय अपने विवेक की सहायता से आपको ही करना है । मैं आपको केवल यह विश्वास दिला सकता हूँ, कि आप शक्ति - सम्पन्न हैं । आप में शक्ति है । आप में बल है । आप वही बन सकते हैं, जो कुछ आप बनना चाहते हैं । यह हो सकता है, कि जो कुछ आप बनना चाहते हैं, उसमें देर सबेर लग जाए, देर भले ही लग सकती है, पर अन्धेर नहीं हो सकता । आप शान्त भाव से किसी शान्त स्थल पर बैठकर अपने मन से यह निर्णय लें, कि वह जीवन के किस पथ पर चल सकता है । और जो कुछ आपका अन्तरङ्ग मन आपको निर्णय दें, उस निर्णय को अपनी विवेक की कसौटी पर कसिए और फिर उसी पथ पर अपने जीवन की समग्र शक्ति को नियोजित कर दीजिए, फिर देखिए, कि आपको सफलता कैसे नहीं मिलती । फिर आपके जीवन की स्थिति यह होगी कि आप सफलता और उपलब्धि को ठोकर मारेंगे, तब भी वह आपका साथ न छोड़ेगी ।
1
संसार में जिस किसी ने जो कुछ पाया है, उसकी सफलता का एक मात्र आधार, लक्ष्य - निर्णय और ध्येय-निष्ठा ही है । संसार के इतिहास
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
१३७
www.jainelibrary.org