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भारतीय संस्कृति में अहिंसा
कुछ महत्व नहीं रहता । आचार क्या है, इस प्रश्न का उत्तर यदि एक ही शब्द में दिया जा सके, तो वह शब्द अहिंसा ही हो सकता है । अहिंसा में सभी धर्मों का समावेश हो जाता है । क्योंकि धरती के सभी धर्मों ने सीधे रूप में अथवा घूम-फिर कर, अहिंसा को ही धर्म माना है । फिर भले ही किसी ने अहिंसा को प्रेम कहा है, किसी ने अहिंसा को सेवा कहा है, किसी ने अहिंसा को नीति कहा है और किसी ने अहिंसा को भ्रातृत्व-भाव कहा है । यह सब अहिंसा के ही विविध विकल्प और नाना रूप हैं । अहिंसा ही परमधर्म है ।
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