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जीवन का रहस्य
कल्याण-भावना । और यह सामूहिक भावना एक प्रकार की संघ - भावना है ।
मैं आपसे व्यक्ति की साधना और उसके जीवन - विकास की बात कह रहा था । बात यह है, कि किसी सिद्धान्त को समझना एक बात है और उसे जीवन की धरती पर उतारना एक अलग बात है । लक्ष्य और उद्देश्य कितना भी पवित्र और कितना भी ऊँचा क्यों न हो, किन्तु जब तक उसे प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं किया जाएगा, हमें उससे किसी प्रकार का लाभ नहीं होगा । एक विदेशी विद्वान ने कहा है – “ To aim is not enough we must hit " लक्ष्य बनाना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए, उसकी प्राप्ति का प्रयत्न भी होना चाहिए । लक्ष्य की उपलब्धि ही जीवन की सफलता है ।
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