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विषय
५४।४१
प्रवचनसारकी विषयानुक्रमणिका . -
- . पृ. गा. विषय
पृ. गा. मंगलाचरणपूर्वक ग्रंथकर्ताकी प्रतिज्ञा ... . ३१ अतीन्द्रियज्ञानमें ही सवको जाननेकी ...
१. ज्ञानाधिकारः । सामथ्र्य है ... ... ... ... वीतराग सराग चारित्रके उपादेयहेयका रागद्वेषी परिणामोंसे ही कर्मोंका बंध ... ५६।४३ कथन ... ... ... ...
६ अरहंतोंके पुण्यका उदय बंधका कारण चारित्रका स्वरूप ... ... ... ८१७ नहीं है, यह कथन ... ... ... ५८१४५ चारित्र और आत्माकी एकताका कथन... ९८ अर्तीन्द्रिय ज्ञानं क्षायिक है ... ... ६०४७ आत्माके शुभादि तीन भावोंका कथन ... १०९ सबको न जाननेसे आत्माको नहीं जानना, शुभादि भावोंका फल ... ... ... १३।११
एक आत्म-ज्ञानाभावसे सबके जाननेका शुद्धोपयोगवाले जीवका स्वरूप ... ... १६११४ अभाव ... ... ... ... ६२१४८ शुद्धीपयोगके वाद ही शुद्ध आत्मस्वभावकी क्रमसे प्रवृत्त ज्ञानको सर्वगतपनेका अभाव प्राप्ति होती है ... ... ...
१८१५ १८१५
तथा युगपत् प्रवृत्तको सर्वगतपना ... ६५।५० 'शुद्ध स्वभावका नित्य तथा उत्पादादिखरू
| क्रियाका फल वंध नहीं है ... .... ६७१५२ पका कथन ... ... ... ... २३।१७ . ज्ञानसे सुख अभिन्न है... ... ... ६९.५३ शुद्धात्माके इन्द्रियोंके विना ज्ञान-सुख ...
अतीन्द्रिय सुखका कारण अतीन्द्रिय ज्ञान ___ होता है ... ... ... ... २५।१९ उपादेय है यह कथन ... ... ७१।५४ अतीन्द्रिय ज्ञान होनेसे सर्व प्रत्यक्षपना... ३०१२१ इन्द्रिय-सुखका कारण इन्द्रिय-ज्ञान ... ७२।५५ आत्मा ज्ञानके-प्रमाण है यह कथन ... ३२१२३ | इन्द्रिय-ज्ञानका हेयपना... ... ... ७३।५६ ज्ञानके प्रमाण आत्माको न मानने में दूषण ३३।२४ | परोक्ष प्रत्यक्षका लक्षण ... ... ... ७५।५८ ज्ञानकी तरह आत्माका सर्वगतत्वपना ... ३५।२६ पूर्वोक्त प्रत्यक्ष वास्तवमें सुख है ... ७६५९ आत्मा और ज्ञानकी एकता और अन्य
केवलीको जाननेसे खेद नहीं होता ... ७८१६० ताका कथन... ... ... ... ३६।२७ | केवलज्ञान सुखरूप है ... ... ... ८०६१ ज्ञान-ज्ञेयकी आपसमें गमनाभाव शक्तिकी
परोक्षज्ञानीको यथार्थ सुख नहीं है ... ८२।६३ विचित्रताका कथन ... ... ... ३८२८
शरीर, सुखका कारण नहीं है ... ... ८४६५ ज्ञानका अर्थों में और पदार्थों का ज्ञान में
इन्द्रियोंके विषय भी सुखके कारण नहीं हैं ८६।६७ रहना इसका दृष्टान्त आत्माका पदार्थोंसे पृथक्पना ... ... ४२॥३२
सुख आत्माका स्वभाव है ... ८७१६८
... केवल ज्ञानी और श्रुतकेवलीमें अविशे
शुभोपयोगका खरूप ... ... ... ९०६९ षता किसी अपेक्षासे है
शुभोपयोगसे इंद्रिय-सुख-प्राप्ति... ... ९०७० ... ... ४३३३३
इन्द्रिय-सुख यथार्थमें दुःख ही है ... ज्ञानका श्रुतरूप उपाधिसे रहितपना ...
९१७१ ४५।३४ आत्म-ज्ञानमें कर्ता करण' भेदका अभाव ४६॥३५
शुभ और अशुभ दोनों उपयोगोंमें समानज्ञान और ज्ञेयका स्वरूप ... ... ४७१३६
_पनेका कथन ...
९२१७२
... असद्भूत पर्यायोंको किसी प्रकार सद्भूतपना
पुण्य दुःखका कारण है... ... ... ९४/७४ __ तथा ज्ञान में प्रत्यक्ष होना ... ... ५११३८
| फिर भी पुण्यजन्य इन्द्रिय-सुखको दुःखरूप इन्द्रिय-ज्ञानका भूतादि पर्यायोंके जानने में
होनेका कथन ... ... ... ९६०७६ असमर्थपना ... ... ... ... ५३।४० | पुण्य और पापमें समानता ... ... ९७१७७
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